टीकाकरण (Vaccination) के लिए रजिस्ट्रेशन कहां और कैसे करें? टीकाकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होंगे ?

5 मई से शुरू होने वाले टीकाकरण में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और निजी अस्पतालों को भी शामिल किया गया है। वर्तमान में 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा था। 
लेकिन अब बारी है 18 से 44 वर्ष के सभी लोगों को टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन की ।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 28 अप्रैल 2021 से शुरू कर दी गई हैं 

कैसे और कहां करें रजिस्ट्रेशन–
आपको vaccination के लिए कोविन पोर्टल (cowin.gov.in),  कोविन ऐप, आरोग्य सेतु  ऐप तथा उमंग की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं 
 रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज –
1.) मोबाईल नंबर 
2.) एक पासपोर्ट साइज फ़ोटो 
3. आईडी कार्ड ( वोटर आईडी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि । )
वहां पर उन्हें अपने मोबाइल नम्बर को दर्ज करना होगा। उसके बाद एक ओटीपी के जरिए अपना एकाउंट बनाना होंगा।
उसमें दिए गए फॉर्म में नाम, उम्र, लैंगिक जानकारी के साथ आधार-कार्ड अपलोड करना होगा, जिसके बाद टीकाकरण केंद्र का चयन कर अप्वाइंटमेंट लेकर दी गई समय सीमा में जाना होगा और वैक्सीन लगवाई जा सकेगी । 

तो हमने इस लेख में जाना की वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन 
कहां और कैसे करें? टीकाकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होंगे । 

अब हम सवालों पर चलते हैं कि किस तरह के हमारे सवाल हो सकते है ? 

1.) क्या हम वैक्सीनेशन के लिए दिन और दिनांक चुन सकते हैं? 
उत्तर – बिल्कुल चुन सकते हैं 

2.) डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी या पड़ेगी । 
उत्तर – 1 पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो, आईडी कार्ड ( वोटर आईडी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि । )

3.) जब टीकाकरण के लिए जाएंगे तो कौन सी आईडी ले जानी पड़ेगी ? 
उत्तर– जो आपने रजिस्ट्रेशन के दौरान दी थी वह आईडी ले जानी होगी । 

4.) वैक्सीन के कितने डोज होंगे ? 
उत्तर– वैक्सीन के दो डोज होंगे । 

5.) वैक्सीन के दोनों डोज कितने दिन के अंतराल लगेंगे? 
उत्तर– यदि आपको कोवेक्सीन लगी हैं तो पहले डोज के दिन से 4–6 हफ़्ते बाद दूसरा डोज लगवाना हैं 
और यदि आपको कोवेशील्ड  लगी हैं तो पहले डोज के दिन से 4–8 हफ़्ते के बाद दूसरा डोज लगवाना हैं 


6.) कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों लगवा सकता हूं ? 
उत्तर– नहीं ( केवल एक ही लगवा सकते हैं) 
7.) क्या मैं अपनी मर्जी से वैक्सीन लगवा सकता हूं
उत्तर– नहीं (जो वैक्सीनेशन सेंटर पर उपलब्ध होगी वही आपको लगाई जाएगी) ।

8.) क्या मुझे दोनों डोज के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन करवाना होगा ? 
उत्तर– नहीं केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करवाना होगा । 

9.) क्या कोरोना से ठीक हो जाने के बाद भी वैक्सिंग लगवाना हैं ?
उत्तर – जी हां लगवाना है। 

10.) वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए? 
उत्तर – स्तनपान कराने वाली महिला (बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला को) , गर्भवती महिला को , कोरोना मरीज को और किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। 
11.) पहला डोज कोवैक्सिन का लगवाया था तो क्या अब दुसरा डोज कोविशील्ड वैक्सीन का लगवा सकता हूं ? 
उत्तर – बिल्कुल नहीं यदि आपने पहला डोज कोवैक्सीन का लगवाया है तो दूसरा भी कोवैक्सीन का ही डोज लगवाना है ।
(अर्थात पहला डोज जिस वैक्सीन का लगवाया है दूसरा भी उसी वैक्सीन का लगवाना है) 

12.) क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी मुझे मास्क पहनना और सैनिटाइजर का उपयोग एवम् सावधानी रखनी होगी । 
उत्तर – 100% मास्क पहनना होगा और सावधानी के साथ रहना होगा । 
13.) टीकाकरण (vaccination) के बाद किस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं ? 
उत्तर – वैक्सीन वाले स्थान पर हल्का सा दर्द, सिर दर्द ,बुखार, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 

14.) क्या हल्का सा दर्द, सिर दर्द ,बुखार, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह से दवाई ले सकते हैं?
उत्तर – डॉक्टर की परामर्श के अनुसार दवाई ले सकते हैं।

15.) क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना हो सकता है?
उत्तर – वैक्सीन कोरोना से बचाव की 100% पुष्टि नहीं करती है लेकिन हां कोरोना से लड़ने के लिए आपकी शक्ति जरूर बडाती है

16.) दोनों वैक्सीन की कीमत कितनी है? 
उत्तर – सरकारी vaccination centre में यह मुक्त में लगाई जा रही हैं प्राइवेट में आपको इसका पैसा देना होगा । 
तो हमने सभी प्रश्नों को बहुत अच्छे से समझा वेबसाइड लिंक 
https://www.cowin.gov.in/home
https://web.umang.gov.in/web_new/login?redirect_to=  इन लिंक पर क्लिक कर आप अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं । और अधिक जानकारी के लिए ब्लॉक्स को पढ़ते रहें और अन्य लोगों तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी साझा करें और लोगों को जागरूक बनाएं एवं स्वयं भी जागरूक नागरिक बने । 

हमारे शरीर में ऑक्सीजन कितने % होनी चाहिए ?

हमारे शरीर में ऑक्सीजन कितने % होनी चाहिए ?
और इसका मापन कैसे किया जाता है?

पर्यावरण में 21% ऑक्सीजन मौजूद है तथा 71% नाइट्रोजन होती हैं और यही 21% ऑक्सीजन हमारे शरीर में प्रवेश करती है जिससे हम जिंदा रहते हैं जो अशुद्ध होती है इसमें नाइट्रोजन कार्बन
 डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन व वातावरण में मौजूद समस्त प्रकार की कैसे होती है लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर में भरी हुई ऑक्सीजन गैस 98% तक शुद्ध होती है इसमें किसी भी प्रकार की अशुद्ध ता नहीं होती है 
(अलग अलग oxygen कंपनियां अपने तरीके से इसकी शुद्धता का % तैयार करती हैं) 
हमारे शरीर में ऑक्सीजन (सैचुरेटेड पल्स ऑक्सीजन ) 94% से कम नहीं होना चाहिए । इससे कम होती है तो हमारे शरीर में Oxygen की कमी होने लगती हैं । तथा घबराहट और बैचेनी बड़ने लगती हैं 

 अब हम पल्स ऑक्सीमीटर के बारे में जानेंगे ये होता क्या हैं?
ये मशीन दिखती कैसी हैं? 
पल्स ऑक्सीमिटर एक छोटी सी मशीन है जो 60 से 90 सेकंड में हमारे शरीर में Oxygen कितना हैं हमारे शरीर में पल्स कितना है हमारे शरीर में परफ्यूशन इंडेक्स कितना हैं ये तीनों को बहुत ही कम समय में पता कर हमे सटीक परिणाम देती हैं 
नीचे दिए चित्र में पल्स ऑक्सीमीटर मशीन हैं 
अब हम तीनों कार्य को समझते हैं  
1.) Puls oximeter (PO) - इस मशीन को सीधे हाथ की अनामिका (अंगूठे के पास की उंगली) मैं लगाया जाता है saturated pulse oxygen को को बताती है जिसे संक्षिप्त रूप में 
SPO2 % यह हमारे शरीर में 94% से ज्यादा होना चाहिए से इससे कम नहीं होना चाहिए । (Oxygen level)

2.) Puls rate (PR) - शरीर के अंदर पल्स रेट 60 से 90 के बीच होना चाहिए । (हार्ड बीट) 

3.) Perfussion index (PI) - परफ्यूशन इंडेक्स यह 2 से 20 के बीच होना चाहिए । किंतु 0.5 से कम कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि यह ब्लड के अंदर आक्सीजन की उपस्थिति को दर्शाता है कि अंतिम नब्ज़ तक अर्थात कितनी मात्रा में नब्ज (धमनी शिरा) को oxygen मिल रही हैं । इससे कम होगी तो इसका मतलब है कि शरीर के अंतिम अंग को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है 2 से 20 के बीच होना चाहिए ।
(नोट – ऑक्सीजन अन्य उपकरणों एवम् मशीन द्वारा मापी जाती हैं)

तो आज हमने पल्स ऑक्सीमीटर को जाना और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समझा । 
इस लेख में महत्वपूर्ण जानकारी आपसे साझा की गई है जो आपको जागरूक बनाएगी और  आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी  । इस लेख को आगे भी भेजे जिससे अन्य लोगो को यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकें । 

कोरोना टेस्ट कैसे किया जाता हैं ?

कोरोना वायरस एक प्रकार का आर.एन.ए. (RNA) वायरस है जो सिंगल हेलिक्स होता हैै 

 जैसा की ऊपर चित्र में बताया गया हैं और हमारे शरीर के अंदर डीएनए (DNA) पाया जाता है डीएनए (DNA) डबल हेलिक्स की संरचना होती है  जैसा की नीचे चित्र में बताया गया हैं

हमारे पास वर्तमान में RNA को चेक करने की कोई आधुनिक उपकरण मौजूद नहीं है 
उदाहरण :– जैसे हमें किसी RNA को चेक करना है या किसी का डीएनए (DNA) चेक करना है तो हम सबसे पहले डीएनए (DNA) चेक करते हैं क्योंकि हमारे पास डीएनए चेक करने की तकनीक मौजूद लेकिन आर एन ए (RNA) की तकनीक हमारे पास नहीं है कोरोना वायरस में डीएनए नहीं होता इसलिए हमें आर एन ए (RNA) के सिंगल हेलिक्स को जोड़कर डीएनए में परिवर्तित (कन्वर्ट) करना होता है डीएनए (DNA) को तोड़ने की प्रक्रिया को ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं इसी प्रकार आर एन ए (RNA) को जोड़ने की प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (RT) कहते हैं ।
अर्थात इसी को ही RT कहते हैं 

अब हम पीसीआर (PCR) के बारे में जानेंगे –
PCR जिसका पूर्ण रूप पॉलीमैरेस चैन रिएक्शन हैं 

RT–PCR का पूर्ण रूप – रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन
पॉलीमैरेस चैन रिएक्शन हैं 

Full form of RT – PCR = Reverse transcription
Polymerase chain reaction 

RT– PCR मशीन कैसी दिखती हैं ? 
या RT– PCR  मशीन कैसी होती हैं ? 
नीचे दिए गए चित्र में RT– PCR मशीन हैं 
 RT – PCR को चेक कैसे करते हैं ? 
या चेक करने की प्रक्रिया क्या है ? 
या RT–PCR क्या हैं ? 

संक्रमित व्यक्ति या साधारण व्यक्ति के मुंह और नाक से निकाले गए सलाइवा में RNA पाया जाता है नाक और मुंह से निकाले गए 
सलाइवा को डीएनए में परिवर्तन (converd) करने के लिए RT–PCR मशीन का उपयोग किया जाता है और इस RNA को डीएनए (DNA) के डबल हेलिक्स में परिवर्तित किया जाता है । 
इसमें विशेषज्ञों की टीम एवं डॉक्टरों ने एक पैमाना रखा गया है
जिसमें उन्होंने thresholds की बात कही है
यहां एक मानक पैमाना है जिसमें यह दर्शाया गया है की आर एन ए (RNA) की कितनी डबल हेलिक्स बनाई जाएगी की वह कोरोना वायरस को प्रदर्शित कर सके ।
(इसका सीधा अर्थ है की कितनी डबल हेलिक्स बनाई जाए जो कोरोना होने का प्रमाण प्रदर्शित करें । )
यदि cycle thresholds की 20 या 30 या फिर उससे अधिक बार घुमाने पर CT value अधिक आ रही है यानी सिटी वैल्यू अधिक है तो आप कोरोना के शिकार नहीं है और ना ही आपको खतरा है लेकिन CT Value यदि आपकी कम है अर्थात cycle thresholds कम है तो आपको कोरोना हो चुका है या आप कोरोना पॉजिटिव है यह निश्चित करता है उसकी सिटी वैल्यू पर । 

उदाहरण :– के अनुसार हम इस प्रकार देखें यदि गन्ने की मशीन से गन्ने का जूस निकाला जाए तो सबसे ज्यादा जूस उस गन्ने का निकलेगा जिसमें सबसे ज्यादा रस है मतलब गाने की मशीन को एक दो या पांच – छह बार घुमाने पर ही गन्ने का पूरा रस निकल जाएगा । इसका मतलब है कि गन्ने में रस है इसी प्रकार से TC Value को भी घुमाया जाता है यदि कम घूमने पर ही उसमे लक्षण दिखाई दिए या लक्षण दिखाई देते हैं तो वह व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव होता है और यदि सूखे गन्ना या कमजोर गन्ने या फिर किसी ऐसे गन्ने का जूस निकाला जाए जिसमें रस ही नहीं हो तो हम उसे 10, 15, 20 और 25 बार भी घुमाएंगे लेकिन फिर भी उसमें रस पर्याप्त मात्रा में नहीं आएगा ठीक सिटी वैल्यू CT Value को भी इसी प्रकार घुमाया जाता है यदि आपकी CT Value 25 से 30 या इससे अधिक आती है तो आप पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं आप कोरोना नेगेटिव हैं तो हमने सिटी वैल्यू (CT Value) क्या होती है और उसे कैसे निकाला जाता है इस लेख में विस्तार पूर्वक समझा ।
इस महत्वपूर्ण जानकारी को अन्य लोगो के साथ भी साझा करें और लोगो को जागरूक करें । धन्यवाद 

कोरोना वायरस क्या हैं

कोरोनावायरस (Corona virus) क्या हैं?


 विषाणुओं(वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों (मानव) में रोग उत्पन्न करता है। यह एक आरएनए (RNA) वायरस  हैं। इसके कारण मानव में श्वास तंत्र मे संक्रमण होता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है।  इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या 
विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए मानव के प्रतिरक्षा तंत्र पर निर्भर करता की वह कितना मजबूत हैं  इसकेे साथ अन्य रोग  व लक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। तथा वेक्सीन जो की हमारी इम्यूनो सिस्टम को मज़बूत बनाए रखे एवम वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करें । 
वर्तमान में कोरोना वायरस के प्रकार –
1.) Primary Corona virus - जिसकी शुरुआत चाइना के हुवान शहर से 2020 में शुरू हुई थी ।

2.) New stran - जो 2021 में आया है ये शरीर में oxygen की मात्रा को बहुत कम कर दे रहा हैं । यानी सांस लेने में तकलीफ को जन्म दे रहा हैं । इसमें व्यक्ति के बहुत कम चांस होते हैं बचने के ।

3.) Post vaccine corona - यहां करोना उन व्यक्तियों को होता है जिनको वैक्सीन लग चुकी है उसके 10 से 15 दिन बाद यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं या पाया जाता है तो उसे पोस्ट वैक्सीन कोरोना कहते हैं इसमें व्यक्ति को ज्यादा खतरा नहीं होता है मरीज को या व्यक्ति को अन्य कोई बीमारी है तो कुछ कहा नहीं जा सकता ।

4.) Re- infected corona - इसको आप इस प्रकार से समझे की व्यक्ति को 1 महीने या 2 महीने बाद कोरोना वापस हो गया हो तो इसमें भी ज्यादा जान की हानि नहीं है और किसी प्रकार का ज्यादा खतरा नहीं रहता है यदि मरीज को अन्य कोई बीमारी है तो कुछ कहा नहीं जा सकता ।

 तो हमने इस लेख में जाना की कोरोना वायरस क्या हैं कितने प्रकार का हैं और अब यह new stran में चल रहा हैं जो की हमारे भारत देश में एक विकराल रूप धारण कर चुका हैं । 
इस तरह की जानकारी से जुड़े रहें और अन्य लोगो को भी जोड़े इसके लिए इसको आप ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इस बात को साझा करें ।  






कैसे पाए 2 लाख रुपए जल्दी करें ।


कितनी उम्र के लोग इसे ले सकते है ?
प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध है।

इसका आवेदन कैसे करें ?
जिस किसी बैंक में आपका बैंक खाता हों वह पर जाकर बैंक के कर्मचारी से मिले और इस योजना के बारे में बताएं और वहीं से अपना आवेदन दे ।


कितनी रकम मिलती है ?
किसी व्यक्ति के निधन के मामले में बीमा कम्पनी उसके व्यारा नामित किये हुए व्यक्ति को 2,00,000 रुपये( 2 लाख), देती है

इसकी प्रीमियम दर कितनी है ?
इसकी प्रीमियम दर बीमा पालिसी में सबसे किफायती है इसके लिए आप को सिर्फ 330 रूपए देने होंगे ये प्रति वर्ष के लिए रहती है तो प्रत्येक वर्ष आपको 330 रूपए देना होगा । 

कृपया लोगो को जागरूक कर उनकी मदद करें । 

यदि किसी करीबी, रिश्तेदार, या परिचित के परिवार में हाल ही में कोई मृत्यु हुई हो चाहे वह किसी भी कारण, बीमारी या कोविड -19 से हो गई हो, तो उनसे बैंक के खाता का विवरण देखने को कहें। यदि उनके पासबुक की प्रविष्टि में 01 अप्रैल 2021 से मृत्यु वाले दिन के बीच बैंक ने 12/- या रु 330/- काटा हो तो इसे चिह्नित करें! और मृतक के परिजनों से कहें कि बैंक में जाकर दो लाख रुपए के लिए बीमा राशि का दावा प्रस्तुत करें! आप सभी से विनम्र आग्रह है कि यदि आपके आसपास ऐसी घटना हुई हो तो तुरंत पीड़ित परिवार अथवा उनके परिजनों को अवश्य सूचित करें यह बिमा दावा 90 दिनो के अन्दर करे और हो सके तो इस काम में उनका सहयोग भी कर दें । वर्ष 2015 से भारत सरकार ने ज्यादातर लोगों के बैंकों के हर बचत खाताधारकों को दो सस्ती बीमा योजनाएं प्रदान की थी :-
1- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) 330/- रुपये में और 
2 - प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) 12/- रूपये में। 

बैंक वालों ने अधिकांश लोगों ने इस फॉर्म को भरवाया था और इन दोनों बीमा की वार्षिक क़िस्त हमारे बचत खाते से प्रतिवर्ष कटती रहती है। इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगो को प्रसारित करने में सहयोग करें। 
हो सकता है कि आपके इस पुनीत प्रयास से किसी दुःखी परिवार को "दो लाख" रुपयों की आर्थिक मदद मिल जाए।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना क्या है ? 
भारत सरकार ने समाज के गरीब और कम आय वर्ग के विकास के लिए एक नई जीवन बीमा योजना, प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शुरू की है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एक नवीकरण अवधि की बीमा पॉलिसी है, जो कि वार्षिक रूप से जीवन बीमा कवरेज प्रदान करती है जिसका बीमा किया गया है 

इस आर्टिकल को लिखने का मेरा मुख्य उद्देश्य इस कोरोना महामारी से भयभीत हुवे लोगो को जागरूक करना इस आर्टिकल को और लोगो को भेजे ताकि उनके ज्ञान में भी यह बात आए ।

हमें समझो..


बात उस दौर की है जिसमें व्यक्तिगत समझ कम,आत्म चिंतन की शक्ति क्षीण होने लगती है हम ऐसा कह सकते हैं व्यक्तित्व को समझ कर । क्या? उनके किए गए कार्य की हमने बस इतनी ही समीक्षा की है क्या? हमने कभी उनके द्वारा किए गए मानव संसाधन के उत्थान को कभी प्राथमिकता दी है या देते हैं यथोचित ऐसा नहीं होता जो निरंतर कई वर्षों से अपना श्रम शींचते आए हैं 
इस जमीन के खातिर इस आधुनिक विकास के लिए उस समय संघर्ष किया जब हम एक रोटी भारत की और तीन रोटी अमेरिका की खाते थे जिन्होंने अपने समय में संघर्ष किया और शुद्धता परिपक्वता और मानसिक निष्ठा से अपने कार्य को परिपूर्ण कर देश को एक दिशा प्रदान की ।
 आज वह समाज के एक विरले अंग हैं हम पूरी तरह से उनके किए गए कार्यों का सम्मान नहीं कर पाए उसी वजह से आज वृद्ध लोग (महिला/पुरूष) जो दरबदर भटक रहे हैं वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं इस तरह समाज के भावी अंग को हम अपने आप से धीरे धीरे दूरी बनाई जा रही हैं किंतु इतना ही नही इसके अलावा भी को देश की सेवा कर सेवानिवृत्त (रिटायर) हो गए हैं उनके अधिकतर उनके कार्यों में ढील पोल, असंवेदनशीलता और अमानवीय व्यवहार किया जाता हैं

जैसे पेंशन में उनकी बाधा उत्पन्न करना, वरिष्ठ नागरिक को प्रत्येक वर्ग में आरक्षित स्थान न देना, आत्मबल गिराना, बैटे ओर पत्नी के द्वारा लालन पालन न करना, संपत्ति को लेकर विवाद करना, यौन शोषण के शिकार होना, घर से बाहर निकलना आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं जिनसे उनके आत्म सम्मान को गहरी चोट लगती है जिससे वह पूरी तरह से टूट जाते हैं तथा इनके कार्यों को तन्मयता से नहीं किया जाता जी हां मैं बात कर रहा हूं उन समस्त देश के सजक प्रहरी की जिन्होंने निंद की झबकी तक न ली ऐसे सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) व्यक्ति की जिन्होंने अपना अमूल्य समय (गोल्डन पीरियड) देकर सेवा दी है
उन्हें उस सेवा के बाद उनका प्रतिफल इतने बेहतर तरीके से नहीं मिला है यह देखा गया है इसीलिए अधिकतर पेंशनर्स की पेंशन रुक जाती हैं या वृद्धा पेंशन अप्रूव नहीं होती हैं ऐसे अनगिनत समस्याएं हैं जो आप और हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं क्या ऐसा होना यथोचित हैं और यदि है तो आगे चलकर हम भी बुजुर्ग होंगे यह समस्या हमको भी आने वाली है हमने कभी नहीं सोचा इस संदर्भ में और ना ही इस प्रकार की कोई अवधारणा बनाई । आने वाला वक्त हो सकता है समय के विपरीत हो किंतु इस तरह की छोटी छोटी चीजों की तैयारियां और बुजुर्गों को सत – सत प्रतिशत सम्मान व उनके जीवन में खुशियों को आत्मसात करना अति आवश्यक है जिससे वह एक स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर सकें ।
मिलते हैं जल्द ही इसके दूसरे भाग में अभी के लिए इतना ही, इस ज्ञान वर्धक बातों को आगे भी भेजे ताकि लोगो में जागरूकता आए अपनो के प्रति ।
इतना सारा स्नेह देने के लिए अनुक्रित होकर धन्यवाद ज्ञापीत करता हूं नमस्कार ।

कवि
संतोष तात्या 

पिता की आस

हां में सही कह रहा हूं प्रकृति में आए परिवर्तनो ने समस्त मानव 

जीवन के रिश्तों से हम कि भावनाएं धीरे धीरे लुप्त होती जा रही हैं बैटा मेरा अब जवान हो गया है और उसकी शादी भी वक्त ने कितना कुछ बदल दिया जो बैटा मेरे पास सोने के लिए रोता था
आज वह मेरे जल्दी सो जाने पर खुश होता है हां सच हैं जब कोई मेहमान घर पर आते थे और जाते वक्त बच्चों के हाथ में कुछ रुपए दे जाते थे बेटा दौड़ कर मेरे पास आता था और वह रुपये मेरी जेब में रख देता था जब उसे याद आती गोली बिस्कुट मंगवाता था किंतु पैसा कभी ना मांगता । एक दौर के बाद सब कुछ बदल गया था मैंने अपना सब कुछ अपने बेटे को दे दिया था जब जब जरूरत लगती पैसा मांग लेता था और बेटा खुशी खुशी से दे देता था लेकिन कुछ दिनों बाद यह सब उल्टा होने लगा, अब कुछ पैसे भी नही मिलते जेब खर्चे के, मुंह तरफ देखता हूं अपने बेट के , बच्चा अब बड़ा और समझदार हो गया सारी कमाई बहू को देता है मुझे कभी-कभी लगता है मैंने इसे अच्छे संस्कार दिए थे कमी कहां रह गई कौन से गुण में उसे दे नहीं पाया विचार करता हूं अब मेरी उम्र भी बच्चा होने चली है हाथ पैर इतने काम नहीं करते रगों में अब उबाल नहीं आताअसहज महसूस करता हूं अपना वक्त गुजारता रहता हूं बस बच्चे को देखकर मन में शांति मिलती है उसकी मां भी मुझे छोड़ कर चली गई मेरा अकेलापन मेरी सुनी जिंदगी मैं तनाव उत्पन्न करता है भाव से भावनाओं में बह जाता हूं बच्चियां थी जो सब अपने ससुराल चली गई तीज त्योहार पर ही उनका आना होता है जितना ख्याल उसकी मां रखा करती थी मेरा उतना बहू कहां रख पाएगी उसे अपने बच्चे और घर के कामकाज में ही पूरा दिन गुजर जाता है कभी तो तू बात कर लेती है दादा जी चाय पिएंगे क्या दादाजी नाश्ता करेंगे क्या मैं क्या शब्द को नहीं सुनना चाहता इससे हम की भावनाएं विलुप्त होती जान पड़ती है रोज इस तरह के अनेक सवाल करती हैं किंतु मैं कुछ नहीं बोलता मुझे पता है मेरा इनके सिवा और है कौन लेकिन स्नेह इनका धीरे धीरे कम होता जा रहा हैं और मेरा तनाव धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है ऐसी स्थिति आ गई है कि मैं करूं भी तो क्या करूं, समय मेरा ना रहा और अब तो हाथ पैर ने भी काम करना बंद कर दिया है बेटा काम करके घर लौटता है थक जाता है दिन भर की थकान उसे मेरे पास नहीं आने देती है बस खाना खाता हूं उसके साथ ज्यादा बातचीत नहीं होती है पहले हंसी मजाक भी किया करता था उसके पास वक्त नहीं या उसका मेरे से मजाक करना पसंद नहीं। अब तो बहू नरम गरम होने लगी हैं मैं कुछ नहीं बोलता अपने मन में हल्की सी मुस्कान लिए उस बात को टाल देते सोचता हूं अभी नादान है और नादानी में ऐसी गलतियां अक्सर होती लेकिन कुछ समय बाद यह मामला और बिगड़ जाता है और लड़के तक बात जाती है लेकिन लड़का कुछ नहीं बोलता
लड़का कितना मतलबी हैं जिस पिता ने उसे आज इस लायक बनाया उनका कोई ध्यान ही नही रखा जा रहा
क्या अजीब गनीमत हैं उम्र के पड़ाव की ओर कंप कपाते शरीर उन हाथों की उंगलियों की जो बच्चों का हाथ थामने को कहती हैं उसके सहारे चलने को आतुर हैं किंतु आधुनिकता के दौर में सब कुछ समय के विपरित होता चला जा रहा हैं एक तरफ पत्नी के खो जाने का गम और दूसरी तरफ मेरा अकेलापन बच्चे सुनते नही हमे समझते नहीं में बेटे की आलोचना नही कर रहा हूं क्योंकि जो किया है मैने ही किया हैं छोटे से लेकर आज तक उसकी हर बात का जवाब में देता था उसकी नटखट बातों से मेरा मन भर जाता था
हर बार एक ही सवाल करता था ये कोवा क्यों बैठा हैं कोई मेहमान आने वाले हैं क्या ?
में कहता हां मेहमान आने वाले हैं
जब जब कोवा देखता बस यही सवाल हर बार करता उसके मासूम चेहरे को देख मुस्कुराता और उसका जवाब हां मैं देता ।
क्योंकि मुझे पता था वह अभी बच्चा हैं इसकी मानसिक उपच में एक जिज्ञासा हैं ।
लेकिन अब सब कुछ बदल गया है तौर तरीके और जीवन शैली के मूल भाव।
बस जी रहा हूं
जी रहा हूं........
हां जी रहा हूं


कवि
संतोष तात्या
 

जिंदगी की पतंग

जिंदगी की पतंग 
जी हां पतंग का नाम लेते ही मन में एक अलग सी खुशी खिल उठती है क्योंकि हमने भी बचपन में पतंगे बहुत उड़ाई हैं
और ख़ूब पतंग के पीछे भागे है कितनी बार कपड़े तो कभी कभी गिरना पड़ना भी हुआ हैं 
ओर लड़ाई भी लेकिन वह लड़ाई थोड़ी देर की हुआ करती थी ।
थोड़ी देर बाद फिर एक दूसरे से पूछते थे तूने आज कितनी पतंग लूटी लेकिन असल में हम जब आज जिंदगी के इस पड़ाव में आ गए है कि ना हम पतंग उड़ा सकते है ओर ना लूट सकते ।
कितना प्यारा बचपन हुआ करता था 
हर चीज़ हमारे मन पसंद की होती थी 
खिलौने से लेकर खाने तक नखरे
मां मुझे ये पसंद नहीं है
 मां मुझे वह पसंद नहीं है 
फिर मां हमें डांट कर खिलाया करती थी 
मां का प्यार पिता जी का दुलार आज हमें बहुत याद आता हैं जब हम किसी परिस्थिति में होते है या फिर 
किसी जिम्मेदारियों में उलझ जाते हैं वास्तविक जिंदगी हमारी वही थी लेकिन सामाजिक जीवन में हम समाज का एक अभिन्न अंग हैं हमें जिम्मेदारियों के क्रम से हमें गुजरना ही पड़ेगा । यहां तक कि जिंदगी अब घर से ऑफिस ओर ऑफिस से घर, रिश्तेदार नातेदार में भी नहीं जा पाते है क्या करें प्राइवेट नौकरी वाले ज्यादा छुट्टी कहां देते हैं और छुट्टी मांगों तो बोलते है हमेशा के लिए जा सकते हो ।
इससे अच्छा है ज्यादा छुट्टी न लो बस अपना काम ओर जिम्मेदारी बरक़रार रखो । क्या अजीब जमाना आ गया हैं मानसिक चिंताएं भी दूर होने के बजाय बड़ती जा रही है इन्हीं चिंताओं के कारण मनुष्य बीमारियों से गिरता जा रहा है यह चिंता व्यक्ति को बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंचा देती है इससे निकलने का एकमात्र ही उपाय है अपने आप को स्वस्थ रखें और खुशहाल रहें
सुबह जल्दी उठे, योग करें, व्यायाम करें, मेडिटेशन आदि अनेक माध्यमों से आप अपने आप को खुशहाल रख सकते हैं, जैसे आपको किसी एक चीज पर इतना फोकस ना करना पड़े और आपकी मानसिक चिंता भी दूर रहेगी दिन में पानी भरपूर पिए खाना समय पर खाएं बस यही दैनिक दिनचर्या आपकी लाइफ मैं बदलाव लेकर आएगी । और आप अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाएंगे

संतोष तात्या



समाज और समाजशास्त्र

 
बात बहुत पुरानी है लेकिन आधुनिकता ने इसे एक नया स्वरूप प्रदान किया है जिसके कारण हम आज एक नए समाज को देख रहे हैं
प्राचीन काल में समाज की अवधारणाएं कुछ अलग अलग थी उनके वैचारिक मत उनकी शैली उनकी वेशभूषा उनका व्यवहार उनके कार्य कुशलता सारी समाज पर निर्भर थी लेकिन जैसे-जैसे मानव मस्तिष्क का विकास होता गया और वह समाज के नए-नए आयामों को गढ़ता गया वह बहुत ही दृढ़ तथा अपने अस्तित्व एवं संस्कृति को प्राथमिकता देता था लेकिन आधुनिक भौतिक सुख सुविधा ने समाज के विभिन्न पहलुओं को क्रमबद्ध तरीके से परिवर्तन किया है समाज की पुरानी बातें कुटुंब कबीले की याद दिलाती है जो कभी छोटे-छोटे झुंड बनाकर या एक समाज बनाकर रहते थे कुछ समाज के समुदाय तो इस प्रकार भी हुआ करते थे जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपना निवास करते थे उनका अपना व्यवसाय हुआ करता था 'भाव पक्ष' एवम् ' हम की भावना' बहुत अधिक सक्षम थी लेकिन जैसे-जैसे समाज का विकास हुआ वैसे वैसे कुछ बुनियादी बातें समाज के स्तर से गायब होने लग गई
 उदाहरण:- ग्रामीण समाज का व्यक्ति यदि किसी शहर (नगरी समाज) मैं आए तो उसे अपने यहां से लोग 10 गुने लोग मिल जाएंगे लेकिन उसके खाने पीने रहने कि पूछने वाला कोई नहीं नगरी समाज अपने कामों में ग्रामीण समाज की तुलना में ज्यादा व्यस्त रहता है यदि इसका विपरीत करके देखे तो आज भी किसी गांव में कोई अनजान व्यक्ति चला जाता है तो उसके आसपास 10 से 20 लोग आकर पूछते हैं
 कौन हो?
 कहां रहते हो?
 किन के घर आए हो?
इस तरह के तमाम प्रश्न पूछे जाते हैं रुकने की व्यवस्था ना हो तो मंदिर या धर्मशाला में ठहराया जाता हैं भोजन पानी की व्यवस्था की जाती है लेकिन शहरों में यह सारी बातों का मोल नहीं होता है अतः समाज शब्द का उपयोग हम अपनी जुबान पर रखते हैं 
किसी व्यक्ति से पूछो तो वह कहेगा 
 में हिंदू हूं
में मुस्लिम में हूं 
मैं इसाई हूं 
इन शब्दों से समाज शब्द का अर्थ भलीभांति दिखाईं दे रहा हैं अतः हम कह सकते है कि बोल चाल की भाषा के अनुसार समाज के अर्थ भी भिन्न भिन्न होते गए हैं समाज के अर्थ के साथ साथ रीति - रिवाज , मान्यताएं, देवी देवता, संस्कृति आदि अनेक जिसको वह मानते हो । जिससे आप और हम भलीभांति परिचित हैं
 प्राणी समाज का एक अभिन्न अंग हैं अकेले व्यक्ति से समाज नहीं बनता यदि हम समाज को परिभाषित करें तो समाज का अर्थ हुआ उसमें रहने वाले लोगों का आपसी गुच्छा' जो मानवीय, सामाजिक ,सांस्कृतिक, भौगोलिक, व्यवहारिक व समानता के बीच संप्रेक्षण आदि के विकास को पूर्ण करता है जिसे हम समाज कहते हैं यदि हम इन्हीं सभी बिंदुओ का क्रमबद्ध अध्ययन करें तो समाजशास्त्र को परिभाषित करेगा
अर्थात यदि हम इसके कारण और विविधता का क्रमबद्ध अध्ययन करके विचार विमर्श करें तो यहां एक समाजशास्त्र तथा समाजशास्त्र विज्ञान कहलाएगा
बदलती हुई समाज की परिभाषा तथा मतभेद का होना लाजमी है एक तरफ हम नई-नई भौतिक आधुनिक वस्तुओं का उपयोग कर रहे हैं और दूसरी तरफ समाजशास्त्र को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें समाज के समस्त सदस्यों का हितार्थ है और नुकसान भी
ज्ञान के सभी क्षेत्रों में हम पश्चिम का अनुकरण करते हैं लेकिन पूरा विश्व मानता है भारत का ज्ञान सब में सर्वोपरि है क्योंकि विश्व व्यापी शैक्षणिक संस्थान तक्षशिला एवम् नालंदा भारत में शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे जिसमें अध्ययन करने के लिए विदेशों से छात्र आते थे इससे स्पष्ट होता है हमारा प्राचीन समाज 
सुविकसित एवं सुदृढ़ था लेकिन उसके बाद समाज की विभिन्न परिभाषाएं हुई तथा समाज शास्त्रियों में आपसी मतभेद कोई समाज शास्त्रीय को समाज विज्ञान मानता है तो कोई समाजशास्त्र को विज्ञान का तवज्जो नहीं देता है
क्योंकि समाज एक परिवर्तन रूप है जो प्रतिदिन निरंतर बदलता ही रहता है इसका कोई अपना स्थाई रूप नहीं है लेकिन इसे विज्ञान कहना भी गलत नहीं होगा क्योंकि इसमें समस्त समाज से जुड़ी हुई घटनाएं, मान्यताएं, संस्कृति, भौगोलिक स्थिति, पर्यावरणीय क्षेत्र सभी बिंदुओं को विस्तृत रूप से क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन किया जाता है अतः हम कह सकते हैं कि समाजशास्त्र एक विज्ञान है
कुछ समाज शास्त्रियों के अनुसार
आगस्ट काम्ट : - ' समाजशास्त्र सामाजिक व्यवस्था और प्रगति का विज्ञान है'
मेकाइवार और पेज :- ' समाजशास्त्र सामाजिक संबंध के विषय में हैं संबंधों के जाल को हम समाज कहते हैं '
अतः हम कह सकते हैं कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है समाज व समाजशास्त्र का मूल यथार्थ रूप परिवर्तन है
आज हमने संक्षेप में समाज और समाजशास्त्र के बारे में जाना इससे आगे भी हम भविष्य में विस्तृत व्याख्या करेंगे ।

संतोष तात्या (- Tatya luciferin)



 

जन्मदिन की शुभकामनाएं कविता के शब्दों से

Q
बात सुबह सुबह की है मैं सोकर ही उठा था सोचा मोबाइल चार्ज कर लेता हूं लेकिन उससे पहले मेरा मन हुआ डाटा ऑन कर व्हाट्सएप चेक करने का, मैंने चेक किया कुछ मैसेज पढ़े थे मैं उन्हें न खोल कर स्टेटस देखने लग गया उसमें मुझे सबसे अजीज जीजू के जन्मदिन विश दिखाई दी साथ में दीदी भी थी।
मेरे मन मस्तिष्क में एक खयाल आया और मैंने दोनों के मुखड़ो को देखकर कुछ शब्द लिखने लगा -

तोहफ़ा हैं मेरा शब्द का,
भावनाओं से पढ़कर स्वीकार कीजिए ।
नव पल्लव की तरह खिलेंगे शब्द मेरे पुलकित आपके मन में ।

कड़कती ठंड में शब्दों की शुभकामनाएं लाया हूं
धूप निकली है यहां तो आपके शहर भी भिजवाया हूं ।
अगर राह में धुंध आई तो कुछ क्षण भर रूक जाएगी
लेकिन खुशियां आपके द्वार तमाम आयेगी ।

चेहरे पर तेज़, माथे पर न सिखन हो
प्रत्येक सुविधाओं से भरपूर आपका जीवन हो।

सरल स्वभाव लक्ष्य पर अडिक हो
सुंदर जोड़ी रहे कभी न विध्न हो।

कर्म में लीन हर स्वप्न हो
ओर हर स्वप्न में आपका दर्पण हो।
                  (फ़ोटो- माता पूजन के दिन कि)

गुंजाए मान हो मधुर ध्वनि आपके जीवन में 
क्षणिक न कभी विरल हो ।

सरल सकल स्वभाव बने हंस मुख बने वाणी,
हर कष्ट ऐसे उतरे जैसे जीज पुरानी ।

जीवन में हो नवाचार लक्ष्य मिले दिनों दिन 
मुबारक हो आपको आपका जन्मदिन 
हो प्रतिदिन रोशन मौसम खुशवार हो
खुश रहे आपकी जोड़ी प्यार बे शुमार हो ।

आपका
अनुज संतोष तात्या (- tatya 'luciferin' )





introduction of Bhagat Singh

 Brief introduction -


Name: Bhagat Singh

Birth: 28 September 1907

Place of Birth: Banga, Jaranwala Tehsil, Lailpur District, Punjab (Pakistan)

Father: Kishan Singh

Mother: Vidyavati Kaur

Teaching: D.A.V. High School - Lahore, National College - Lahore

Major Book: Why I Am An Atheist - Why I am an Atheist.

Organization: Naujawan Bharat Sabha, Kirti Kisan Party, Hindustan Republic Association, Kranti Dal

Death: 23 March 1931

Deathplace: Lahore, Punjab (Pakistan)

Shaheed Bhagat Singh's early life

When Bhagat Singh was born, his father Kishan Singh, uncle Ajit Singh and Swarn Singh were jailed for protesting against the Colonization Bill enacted in 1906. Chacha Ajit Singh was the proponent of the movement and founded the Indian Patriot Association.

Bhagat Singh studied in Dayanand Anglo Vedic (D.A.V.) High School and then a B.A from National College. At the young age of 13, he witnessed the massacre of Jallianwala Bagh and that incident had a great impact on him. After that massacre, he quit his studies and became active in the freedom movement.

Activism in freedom movement

Bhagat Singh of Jallianwala massacre decided to offer his whole life for freedom. He started opposing British rule. Full credit goes to Bhagat Singh for popularizing the slogan "Inquilab Zindabad". In 1928, the British Government organized the Simon Commission to discuss autonomy for the Indian people.

Many political organizations boycotted the event as there was no Indian representative in this commission. On 30 October 1928, Lala Lajpat Rai led a procession of all parties and marched towards Lahore railway station to protest against the arrival of the Simon Commission.

During this march, Lala Lajpat Rai was badly injured in the lathicharge of Superintendent of Police James A. Scott. The injured Lala Lajpat Rai died within a few days. To avenge the death of Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh and his two other associates killed another Superintendent of Police, John P. Saunders, with James A. Scott. Bhagat Singh and his companions were searched extensively to capture him but in spite of that he survived arrest.

In protest against the Defense of India Act, the Hindustan Socialist Republican Association planned to detonate a bomb inside the assembly premises where the ordinance was about to be passed. On 8 April 1929, Bhagat Singh and Batukeshwar Dutt threw bombs in the corridors of the assembly and raised slogans of 'Inquilab Zindabad!'. Bhagat Singh did not want anyone dead or injured due to the bomb explosion. So the bomb was thrown away from the crowded place, but still many members of the council were injured in the uproar.  After the blasts Bhagat Singh and Batukeshwar had a chance to escape but they did not run away and kept raising slogans of 'Inquilab Zindabad!' Later both were arrested and put in Delhi jail. During the 2-year jail, Bhagat Singh wrote many letters to his family and relatives, those letters are considered to be the mirror of his thoughts. Bhagat Singh and his comrades also carried out a hunger strike for several days against the atrocities on Indians in jail. During this time, his partner Yatindranath gave up his life. On 5 October 1929, Bhagat Singh finally broke his 116-day fast at the request of his father and the Congress leadership. On 26 August 1930, the court declared Bhagat Singh as a criminal under Section 129, 302 of the Indian Penal Code and Explosive Substances Act. The court pronounced its 300-page judgment on 7 October 1930. It announced that necessary evidence had been presented to confirm Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru's involvement in the Saunders murder. Bhagat Singh was given the opportunity to present his case but Bhagat Singh admitted the murder. Bhagat Singh and his comrades shouted slogans of 'Inquilab Zindabad!' In the judgment, the court sentenced the three to death. Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were all to be hanged on 24 March 1931, but due to heavy opposition in the country, all three were hanged on 23 March 7 at 33 minutes. There is respect in every Indian's heart for all the great men who gave their lives to liberate India, every Indian revolutionary like Bhagat Singh will always be grateful to him and will remember him.  To spread such freedom to Bhagat Singh, the young revolutionary country lover and to spread his message to the youth, he created the "Government Motilal Science College Bhopal" 'Bhagat Kranti Dal (BKD)' whose main objective is patriotism among the youth towards Bhagat Singh And the main goal is to have true reverence for our nation and make it paramount.

'So aware is my pen with my emotions,

If I want to write Ishq too, the revolution is written. ' The task of reaching such ideas to the youth

The president of the Bhagat Kranti Dal is Bhai Lokendra Rohit, mentor brother Anoop Dangi and his classmate friends who formed a group on 28 September 2011, named the Bhagat Kranti Dal, every year from the same day Bhagat Singh Day goes on a massive program and helps the youth Biography of Bhagat Singh And good ideas on his patriotic views etc.Programs, writing, posters, paintings, quiz competition, dance, mimicry, drama, speech competitions, etc., have been done on Bhagat Singh since 2011, from that day till date, which I have been doing continuously since 2013. I have been a witness till 2018, we congratulate them all for this good work This group of Motilal Science College continues to inspire the youth and take a big form at a young age so that their ideas can be easily reached to the public.


Bhagat Singh's poets name of country

So familiar is my pen with my emotions,

If I want to write Ishq too, the revolution is written.


I want tan, no money

Just want this country full of peace

As long as I am alive, for this motherland

And when I die, the tricolor is the shroud


I write the story with my blood

Make your life laugh by making my youth


- Tatya 'Luciferin'


शहीदे आजम भगत सिंह का जीवन परिचय

जीवन परिचय संक्षिप्त में- 

नाम: भगत सिंह
जन्म: 28 सितम्बर 1907
जन्मस्थान: बंगा, जरंवाला तहसील, लायलपुर जिल्ला, पंजाब (पाकिस्तान)
पिता: किशन सिंह
माता: विद्यावती कौर
शिक्षण: डी.ऐ.वी. हाई स्कूल -लाहौर, नेशनल कॉलेज – लाहौर
प्रमुख पुस्तक: Why I Am An Atheist – में नास्तिक क्यों हूँ.
संगठन: नौजवान भारत सभा, कीर्ति किसान पार्टी, हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन, क्रांति दल
मृत्यु: 23 मार्च 1931
मृत्युस्थल: लाहौर, पंजाब (पाकिस्तान)
शहीद भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन
जब भगत सिंह का जन्म हुआ, उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह को 1906 में लागू किए गए औपनिवेशीकरण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने के कारण जेल बंद किया गया था. चाचा अजीत सिंह, आंदोलन के प्रस्तावक थे और उन्होंने भारतीय देशभक्त संघ की स्थापना की थी।
भगत सिंह ने दयानंद एंग्लो वैदिक (D.A.V.) हाई स्कूल में पढ़ाई की और फिर नेशनल कॉलेज से B.A की पढाई की. करीब 13 साल की छोटी उम्र में उन्होनें जलियावाला बाग का हत्याकांड देखा और उस घटना का उनपर बहुत प्रभाव पड़ा. उस हत्याकांड के बाद उन्होंने पढाई छोड़कर स्वतंत्रता के आंदोलन में सक्रीय होने लगे।

स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता- 
जलियावाला हत्याकांड के भगतसिंह ने अपना पूरा जीवन आज़ादी के लिए अर्पण करने का फैसला लिया. उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करना शुरू कर दिया. “इंकलाब ज़िंदाबाद” का नारा लोकप्रिय बनाने का पूरा श्रेय भगतसिंह को ही जाता है. सन 1928 में, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय लोगों के लिए स्वायत्तता पर चर्चा करने के लिए साइमन कमीशन का आयोजन किया. इस कमीशन में कोई भारतीय प्रतिनिधि न होने के कारण कई राजनितिक संगठनों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया . 30 अक्टूबर 1928 को, लाला लाजपत राय ने सभी दलों के जुलूस का नेतृत्व किया और साइमन कमीशन के आगमन के विरोध में लाहौर रेलवे स्टेशन की ओर मार्च किया।
इस मार्च के दौरान पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट के लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए. घायल लाला लाजपत राय की कुछ ही दिनों में मौत हो गई. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगतसिंह और उनके अन्य दो साथियों ने एक दुसरे पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सॉन्डर्स को जेम्स ए स्कॉट समज कर मार दिया. भगतसिंह और उनके साथीयों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर खोजा गया लेकिन उसके बावजूद वै गिरफ्तारी से बच गए।
डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के विरोध में, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने विधानसभा परिसर के अंदर एक बम विस्फोट करने की योजना बनाई, जहां अध्यादेश पारित होने वाला था. 8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली के गलियारों में बम फेंका और ‘इंकलाब ज़िंदाबाद!’ के नारे लगाये. भगतसिंह नहीं चाहते थे की बम फटने से कोई मरे या घायल हो. इसलिए बम भीड़ वाली जगह से दूर फेंका, लेकिन फिर भी परिषद के कई सदस्य हंगामे में घायल हो गए. धमाकों के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर भागने का मौका मिला था लेकिन वै भागे नहीं और ‘इंकलाब ज़िंदाबाद!’ के नारे लगाते रहे. बाद में दोनों को गिरफ्तार करके दिल्ली की जेल में डाल दिया गया।
2 साल के जेलवास के दौरान भगतसिंह ने अपने परिवार और संबंधियों को कई पत्र लिखे, उन पत्रों को उनके विचारों का दर्पण माना जाता है. जेल में भारतीयों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भगतसिंह और उनके साथियों ने कई दिनों तक भूख हडताल भी की थी. इस दौरान उनके साथी यतीन्द्रनाथ ने अपने प्राण तक त्याग दिए थे. 5 अक्टूबर, 1929 को भगत सिंह ने अंततः अपने पिता और कांग्रेस नेतृत्व के अनुरोध पर अपना 116 दिन का उपवास तोड़ा।
26 अगस्त 1930 को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 129, 302 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत भगतसिंह को अपराधी करार दिया गया. अदालत ने 7 अक्टूबर 1930 को अपना 300 पन्नों का फैसला सुनाया. इसने घोषणा की कि सॉन्डर्स हत्या में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के शामिल होने की पुष्टि के लिए आवश्यक प्रमाण प्रस्तुत किया गया है. भगत सिंह को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया लेकिन् भगतसिंह ने हत्या की बात स्वीकार की. भगत सिंह और उनके साथियों ने अदालत में भी और ‘इंकलाब ज़िंदाबाद!’ के नारे लगाये. फैसले में कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई।
भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु इन तीनो को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जाने वाली थी, लेकिन देश में हो रहे भारी विरोध के चलते इन तीनो को 23 मार्च शाम 7 बजकर 33 मिनट पर फांसी दे दी गई।

भारत को आज़ादी दिलाने में जिन जिन महापुरुष ने अपने प्राण दिए उन सभी के प्रति हर भारतीय के दिल में सम्मान है हर भारतीय भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी को हमेशा उनका आभारी रहेगा और उन्हें याद करता रहेगा।

ऐसे आजादी के परवाने भगत सिंह को युवा क्रांतिकारी देश प्रेमी और युवाओं तक उनके संदेश विचारों को प्रेषित करने के लिए "शासकीय मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय भोपाल" 'भगत क्रांति दल (BKD)' का निर्माण किया जिसका मुख्य उद्देश्य युवाओं में भगत सिंह के प्रति देशभक्ति व अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची श्रद्धा रखना तथा उसे सर्वोपरि बनाना मुख्य लक्ष्य हैं

                      कार्यक्रम सेे लीीी  गई फोटोो

'इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से,
अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिखा जाता है।'
ऐसे विचारों को युवा तक पहुंचने का काम
भगत क्रांति दल के अध्यक्ष भाई लोकेंद्र रोहित, संरक्षक भाई अनूप दांगी हैं और इनके सहपाठी मित्र जिन्होंने 28 सितंबर 2011 को एक दल बनाया जिसका नाम भगत क्रांति दल रखा उसी दिन से प्रत्येक वर्ष भगत सिंह दिवस पर बढ़-चढ़कर कार्यक्रम करते हैं तथा युवाओं को भगत सिंह की जीवनी और उनके विचारों देशभक्ति आदि पर अच्छे अच्छे    र्क्र्आ््
 कार्यक्रम, लेखन, पोस्टर,पेंटिंग, क्विज कंपटीशन, डांस, मिमिक्री, नाटक, भाषण प्रतियोगिता आदि अनेक कार्य भगत सिंह के ऊपर इस ग्रुप कि स्थापना 2011 में की थी उस दिन से लेकर आज तक कार्यक्रम लगातार करता आ रहा है जिसका मैं 2013 से 2018 तक साक्षी रहा हूं इस अच्छे कार्य के लिए हम सब उन्हें बधाई देते हैं मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय का यह ग्रुप युवाओं को प्रेरित करता रहे और अल्प आयु में ही एक बड़ा रूप ले जिससे उनके विचारों को आसानी से जनमानस तक पहुंचाया जा सके ।

भगत सिंह की शायरियां देश के नाम-

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से,
अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिखा जाता है।



मुझे तन चाहिए, ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिंदा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए
और जब मरूं तो तिरंगा ही कफन चाहिए


लिख रहा हूं मैं अंजाम, जिसका कल आगाज आएगा
मेरे लहू का हर एक कतरा, इंकलाब लाएगा

          


मैं भारतवर्ष का हरदम अमिट सम्मान करता हूं
यहां की चांदनी, मिट्टी का ही गुणगान करता हूं
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की
तिरंगा हो कफन मेरा, बस यही अरमान रखता हूं
           

कभी वतन के लिए सोच के देख लेना,
कभी मां के चरण चूम के देख लेना,
कितना मजा आता है मरने में यारों,
कभी मुल्क के लिए मर के देख लेना,
           

हम अपने खून से लिक्खें कहानी ऐ वतन मेरे
करें कुर्बान हंस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे

- Tatya 'Luciferin'