बात उस दौर की है जिसमें व्यक्तिगत समझ कम,आत्म चिंतन की शक्ति क्षीण होने लगती है हम ऐसा कह सकते हैं व्यक्तित्व को समझ कर । क्या? उनके किए गए कार्य की हमने बस इतनी ही समीक्षा की है क्या? हमने कभी उनके द्वारा किए गए मानव संसाधन के उत्थान को कभी प्राथमिकता दी है या देते हैं यथोचित ऐसा नहीं होता जो निरंतर कई वर्षों से अपना श्रम शींचते आए हैं इस जमीन के खातिर इस आधुनिक विकास के लिए उस समय संघर्ष किया जब हम एक रोटी भारत की और तीन रोटी अमेरिका की खाते थे जिन्होंने अपने समय में संघर्ष किया और शुद्धता परिपक्वता और मानसिक निष्ठा से अपने कार्य को परिपूर्ण कर देश को एक दिशा प्रदान की ।
आज वह समाज के एक विरले अंग हैं हम पूरी तरह से उनके किए गए कार्यों का सम्मान नहीं कर पाए उसी वजह से आज वृद्ध लोग (महिला/पुरूष) जो दरबदर भटक रहे हैं वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं इस तरह समाज के भावी अंग को हम अपने आप से धीरे धीरे दूरी बनाई जा रही हैं किंतु इतना ही नही इसके अलावा भी को देश की सेवा कर सेवानिवृत्त (रिटायर) हो गए हैं उनके अधिकतर उनके कार्यों में ढील पोल, असंवेदनशीलता और अमानवीय व्यवहार किया जाता हैं
जैसे पेंशन में उनकी बाधा उत्पन्न करना, वरिष्ठ नागरिक को प्रत्येक वर्ग में आरक्षित स्थान न देना, आत्मबल गिराना, बैटे ओर पत्नी के द्वारा लालन पालन न करना, संपत्ति को लेकर विवाद करना, यौन शोषण के शिकार होना, घर से बाहर निकलना आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं जिनसे उनके आत्म सम्मान को गहरी चोट लगती है जिससे वह पूरी तरह से टूट जाते हैं तथा इनके कार्यों को तन्मयता से नहीं किया जाता जी हां मैं बात कर रहा हूं उन समस्त देश के सजक प्रहरी की जिन्होंने निंद की झबकी तक न ली ऐसे सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) व्यक्ति की जिन्होंने अपना अमूल्य समय (गोल्डन पीरियड) देकर सेवा दी है
उन्हें उस सेवा के बाद उनका प्रतिफल इतने बेहतर तरीके से नहीं मिला है यह देखा गया है इसीलिए अधिकतर पेंशनर्स की पेंशन रुक जाती हैं या वृद्धा पेंशन अप्रूव नहीं होती हैं ऐसे अनगिनत समस्याएं हैं जो आप और हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं क्या ऐसा होना यथोचित हैं और यदि है तो आगे चलकर हम भी बुजुर्ग होंगे यह समस्या हमको भी आने वाली है हमने कभी नहीं सोचा इस संदर्भ में और ना ही इस प्रकार की कोई अवधारणा बनाई । आने वाला वक्त हो सकता है समय के विपरीत हो किंतु इस तरह की छोटी छोटी चीजों की तैयारियां और बुजुर्गों को सत – सत प्रतिशत सम्मान व उनके जीवन में खुशियों को आत्मसात करना अति आवश्यक है जिससे वह एक स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर सकें ।मिलते हैं जल्द ही इसके दूसरे भाग में अभी के लिए इतना ही, इस ज्ञान वर्धक बातों को आगे भी भेजे ताकि लोगो में जागरूकता आए अपनो के प्रति ।
इतना सारा स्नेह देने के लिए अनुक्रित होकर धन्यवाद ज्ञापीत करता हूं नमस्कार ।
कवि
संतोष तात्या
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