जिंदगी की पतंग
जी हां पतंग का नाम लेते ही मन में एक अलग सी खुशी खिल उठती है क्योंकि हमने भी बचपन में पतंगे बहुत उड़ाई हैंओर लड़ाई भी लेकिन वह लड़ाई थोड़ी देर की हुआ करती थी ।
थोड़ी देर बाद फिर एक दूसरे से पूछते थे तूने आज कितनी पतंग लूटी लेकिन असल में हम जब आज जिंदगी के इस पड़ाव में आ गए है कि ना हम पतंग उड़ा सकते है ओर ना लूट सकते ।
कितना प्यारा बचपन हुआ करता था
हर चीज़ हमारे मन पसंद की होती थी
खिलौने से लेकर खाने तक नखरे
मां मुझे ये पसंद नहीं है
मां मुझे वह पसंद नहीं है
फिर मां हमें डांट कर खिलाया करती थी
मां का प्यार पिता जी का दुलार आज हमें बहुत याद आता हैं जब हम किसी परिस्थिति में होते है या फिर
किसी जिम्मेदारियों में उलझ जाते हैं वास्तविक जिंदगी हमारी वही थी लेकिन सामाजिक जीवन में हम समाज का एक अभिन्न अंग हैं हमें जिम्मेदारियों के क्रम से हमें गुजरना ही पड़ेगा । यहां तक कि जिंदगी अब घर से ऑफिस ओर ऑफिस से घर, रिश्तेदार नातेदार में भी नहीं जा पाते है क्या करें प्राइवेट नौकरी वाले ज्यादा छुट्टी कहां देते हैं और छुट्टी मांगों तो बोलते है हमेशा के लिए जा सकते हो ।
इससे अच्छा है ज्यादा छुट्टी न लो बस अपना काम ओर जिम्मेदारी बरक़रार रखो । क्या अजीब जमाना आ गया हैं मानसिक चिंताएं भी दूर होने के बजाय बड़ती जा रही है इन्हीं चिंताओं के कारण मनुष्य बीमारियों से गिरता जा रहा है यह चिंता व्यक्ति को बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंचा देती है इससे निकलने का एकमात्र ही उपाय है अपने आप को स्वस्थ रखें और खुशहाल रहें
सुबह जल्दी उठे, योग करें, व्यायाम करें, मेडिटेशन आदि अनेक माध्यमों से आप अपने आप को खुशहाल रख सकते हैं, जैसे आपको किसी एक चीज पर इतना फोकस ना करना पड़े और आपकी मानसिक चिंता भी दूर रहेगी दिन में पानी भरपूर पिए खाना समय पर खाएं बस यही दैनिक दिनचर्या आपकी लाइफ मैं बदलाव लेकर आएगी । और आप अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाएंगे
संतोष तात्या
Ek no bhai
जवाब देंहटाएंअच्छा है
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