मार्टिन की खोज

                                                                 मार्टिन की खोज 

हां एक समुदाय में खुशी की लहर दौड़ उठी थी जिस समय प्रेसिडेंट लिंकन ने "आजादी का घोषणा पत्र" (इमेंसिपेशन प्रोक्लमेशन) जारी किया था कई पीढ़ियों से ढोते आ रहे अश्वेत लोग या यूं कहें गुलाम अश्वेत समुदाय जिनको चर्च में जाने की भी अनुमति नहीं थी 
श्वेत लोग अश्वेत लोगों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे इस समुदाय को सामाजिक, आर्थिक बराबरी, वैभव, समरसता का भाव तथा राजनीतिक अधिकारों से कोसों दूर रखा गया था लेकिन वक्त का पहिया जब अपनी रफ्तार से चलने लगा जब अश्वेत समुदाय का उत्थान धीरे-धीरे शुरू होने लगा था "रिकंस्ट्रक्शन एक्ट" को पास हुए एक दशक भी नहीं हुआ था कि अमेरिका में नीग्रो समुदाय को भयानक अमानवीयता का सामना करना पड़ा। इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई थी यह कई दशकों से चला आ रहा था इन्हीं सबके बीच सन 1899 में नीग्रो समुदाय के परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ जिसका नाम माइक किंग रखा गया । इस बच्चे के दौर में भी व्यवस्था जो कि त्यों ही थी, यानी जैसा चला आ रहा था वैसा ही चल रहा था बहुत से अश्वेत समुदाय के लोगों का बचपन, जवानी और बुढ़ापा मूलधन और ब्याज चुकाने में ही खप जाता था। माइक किंग भी एक सामान्य परिवार से होने के कारण उन्हें भी बहुत कुछ सहना पड़ा। तथा इन्हीं कारणों के चलते दो वक्त की रोटी के लिए छोटी सी उम्र में ही काम करना पड़ता जिसमें अश्वेत समुदाय के बच्चे ही अधिकतर हुआ करते थे

एक तरफ गरीबी, भुखमरी तथा बेरोजगारी से बुरा हाल और दूसरी तरफ यह चिंगारी श्वेत, अश्वेत की हर किसी शहर में दिवाली के पटाखों जैसी जलती हुई दिखाई दे रही थी जिसमें दक्षिण अमेरिका का सबसे बड़ा एवं प्रगतिशील शहर 'अटलांटा' भी इस क्रूरता की जाल में उलझा हुआ था सन 1906 में जातीय दंगों में सैकड़ों अश्वेत लोगों का नरसंहार हुआ। इन्हीं सबके बीच 'माइक किंग' का विकास धीरे-धीरे हो रहा था वातावरण के अनुकूल होने के कारण 'माइक' पादरी के प्रवचनों को हमेशा सुनते एवं उसका अनुसरण करने की कोशिश करते रहते इसका मुख्य कारण घर चर्च के पास होना था पादरी के प्रवचन उन्हें अध्यात्मिक जीवन की ओर ले जा रहा थे सन् 1924 में मां के मरने के बाद 'माइक किंग' का नाम 'मार्टिन लूथर किंग' के नाम से प्रयोग में होने लगा लेकिन सब उन्हें प्यार से 'माइक' हीं बुलाते थे माइक ने हाई स्कूल डिप्लोमा किया था फिर उनका विवाह प्रसिद्ध धर्मगुरु ए.डी. की पुत्री जिसका नाम 'एल्बर्टा विलियम्स' था दोनों ने सन् 1926 में 'धन्यवाद दिवस' (थैंक्स गिविंग डे) पर विवाह किया पहली संतान 'विली क्रिस्टीन' को जन्म दिया। इसके बाद सन् 1929 में दूसरे बच्चे को जन्म दिया गलती से बच्चे का नाम 'माइकल लूथर किंग' लिखा गया । जिसको 28 साल बाद एक देश से दूसरे देश जाने पर पासपोर्ट में नाम ठीक कर 'मार्टिन लूथर किंग जूनियर' रखा गया बस यहीं से मार्टिन कि उत्पति हुई मार्टिन अपने पिता की दुसरी संतान थे । 'मार्टिन लूथर किंग जूनियर' की बाल अवस्था चर्च आध्यात्मिकता में बीती लेकिन अश्वेतों पर श्वेतों द्वारा अत्याचार, क्रूरता थमने का नाम ही नहीं ले रही थी
'मार्टिन लूथर किंग जूनियर' को उस वक्त झटका लगा जब वह अपने दोस्त के साथ खेल रहे थे अपने मित्र की मां द्वारा जो व्यवहार किया उससे वह बहुत आहत हुए जबकि उनकी उम्र मात्र 6 वर्ष थी ‘मार्टिन’ अपने दौर में श्वेतों के अत्याचारों से बहुत परेशान थे लेकिन इन सभी परिस्थितियों के बावजूद मार्टिन में बोलने और भाषण देने की गजब की कला छुपी हुई थी । इसका प्रमुख कारण घर के पास चर्चा होना था जैसा उनके पिता माइक की परवरिश हुई ठीक वैसी ही 'मार्टिन लूथर किंग जूनियर' की हुई पादरी के प्रवचनों को अनुसरण करने से उन्हें मानसिक मजबूती मिलती थी मार्टिन उस दौरान कॉलेज में थे उस समय 'द्वितीय विश्व युद्ध' में हिस्सा लेने की बात चल रही थी नौकरी कि भी अपार संभावनाए खुलती जा रहीं थी पहले अश्वेतों को नौकरी नहीं दी जाती थी नीग्रो समुदाय ने जनवरी 1941 में वाशिंगटन में करीब एक लाख लोग सरकार की रंगभेद नीति के विरुद्ध प्रदर्शन करने का निश्चय किया लेकिन किन्हीं कारणों से यह प्रदर्शन हो नहीं पाया प्रदर्शन के पहले वहां की सरकार में भय बना हुआ था इससे ‘प्रेसिडेंट रुजवेल्ट’ इतने दबाव में आ गए उन्होंने इसके लिए एक कमेटी बनाई और आनन-फानन में एक सरकारी आदेश जारी
करके अश्वेत लोगों के लिए नौकरी के गेट खोल दिए उद्योग धंधा एवं अन्य व्यापार में लोगों की कमी के चलते खपत बडी और युद्ध भी खींचा चला जा रहा था बात सन् 1944 की है जब दोनों समुदाय श्वेत, अश्वेत हजारों की संख्या में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे थे करीबन 10 लाख लोग सेना में थे जिसमें से भिन्न-भिन्न समुदाय के लोग भी शामिल थे इतनी अपार संभावनाएं नीग्रो लोगों को पहले कभी नहीं मिली थी मार्टिन कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक चिंतन किया करते थे उन्हें देश दुनिया में क्या चल रहा है उसका थोड़ा बहुत ज्ञान था ।
मार्टिन की पढ़ाई एक ऐसे कॉलेज से हो रही थी जिसका नाम 'मोर हाउस कॉलेज' था जिसमें केवल अश्वेत बच्चे ही पढ़ते थे कॉलेज की विभिन्न गतिविधियों में अपनी सक्रिय भागीदारी भी निभाते थे एक बार उन्हें कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला या यूं कहें की सदस्य के रूप में कॉलेज से चुन कर गए थे जिसमें भिन्न समुदाय के छात्र व अलग-अलग कॉलेज के छात्र मौजूद थे उन्हें 'इंटर कॉलिजिएट गेट काउंसिल' में खुलकर बोलने का मौका मिला । ‘मार्टिन’ ने जब अपनी भाषा और तार्किकता का बाण अन्य समुदायों व श्वेतों के सामने चलाया तो वह मार्टिन के कायल हो गए इनकी बात से कुछ श्वेत छात्र भी अपने आप को असहज महसूस करने लगे कि हमारे पुर्खों ने अश्वेतों पर किस तरह का जुल्म किया उस दौर में अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था लेकिन ‘मार्टिन’ के बहुत से दोस्त ऐसे भी थे जो मार्टिन की बात का समर्थन करते थे और उनकी मदद भी करते थे नौकरी के दौरान उन्होंने 'सदर्न स्प्रिंग बेड मैट्रेस कंपनी' मैं नौकरी का अवसर मिला ! काम एक समान हुआ करता था लेकिन वेतन दोनों का अलग-अलग होता था यह विचार मार्टिन के मन में कई दिनों तक बेचैन करता रहा, कि काम एक समान........... लेकिन वेतन अलग-अलग..............
यदि कार्य में किसी प्रकार की कमी रहती तो वह अश्वेतों पर डाल दी जाती थी या दोषी ठहराया दिया जाता था काम बराबर वेतन कम और ताने भी भरपूर मिलते थे यह कहां का न्याय है यह प्रश्न चिन्ह? मार्टिन के दिमाग में गूंजने लगा उन्हें परेशान करने लगा। उन्होंने इन्हीं कारणों के चलते नौकरी से इस्तीफा दे दिया मार्टिन के दिमाग में ना जाने कितनी सारी समस्याओं की गठरी बंधी हुई थी वह चाहते तो कहीं भी नौकरी कर लेते लेकिन उन्होंने श्वेत अश्वेत या काले गोरे का भेद को जड़ से खत्म करने का दृढ़ निश्चय किया कि मैं इसको जड़ से मिटा कर ही रहूंगा इसके लिए मुझे कितनी ही समय देना पड़े, मैं तैयार हूं और वह आगे बढ़ गए अपनी यात्रा के लिए, इस यात्रा में न जाने कितने लोगों से संपर्क हुआ 

लेकिन मार्टिन कभी डरे नहीं, झुके नही यह आग उनके सीने में निरंतर जलती रही और ‘मार्टिन’ आगे बढ़ते गए क्योंकि मार्टिन भाषण देने में माहिर थे इसके साथ उनका अथक ज्ञान, गहरी सोच तथा बेहद आकर्षण व्यक्तित्व था इन्हीं सब विचारों और प्रभावी मानकों से 'मार्टिन लूथर किंग जूनियर' का की खोज हुई।
जो बाद में अमेरिकी अफ्रीकी के नागरिक अधिकार, श्वेत अश्वेत के भेदभाव, मतदान के अधिकार, अलगाव, श्रम अधिकार, तथा दक्षिण अफ्रीका के गांधी के साथ-साथ ना जाने कितने सारे आंदोलनों में भाग लेकर पूरी दुनिया के लिए एक मसीहा बने। 

 - संतोष तात्या (Tatya Luciferin) 
   कवि, शोधार्थी 


लेख का स्त्रोत संदर्भ 'मोहिनी माथुर' की बुक "अहिंसा का पुजारी मार्टिन लूथर किंग जूनियर" की प्रथम आवृत्ति वर्ष 2008 व इन्टरनेट से लिया गया है ।
The main source of photos is taken from a free website on the internet.

भाषा ओर उसके मायने

बात भाषा की थी जो सर्वव्यापी होनी थी किंतु यह पहले से ही बिखरी हुई पड़ी थी बस एक दूसरे को बताने की जरूरत थी कि हम इसे एक ही नाम से संबोधित करें जानते सब हैं जो पूरे देश में बोली जाती है देश के प्रत्येक कोने में जिसकी गूंज बच्चे के रोने से लेकर उसे लोरी सुनाने तक थी 
 भाषा को भाषा कहने में थोड़ा वक्त लगाया जब तक हम पर दूसरी भाषा सवार हो चुकी थी और वह थी अंग्रेजी, मैकाले ने भारत में शिक्षा की ऐसी नींव रखी जो पूर्णता गुलाम बनाने में सक्षम थी ओर साथ में गुलामी की फसल जो आज भारत में उगती हुई दिखाई दे रही है उन्हें हम बड़े-बड़े नामी-गिरामी विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के माध्यम से देख रहे हैं
 एक तरफ भारत का मूल तबका जो अपनी क्षेत्रीय भाषा में लिप्त हैं वह से आगे चलकर किसी अंग्रेजी भाषा या किसी विदेशी भाषा का सामना इस प्रकार कर रहा है मानो उस भाषा के बिना उसका जीवन व्यर्थ हो गया हैं क्योंकि उसे एक ही भाषा का ज्ञान हैं बात निम्न पदों की हो या उच्च पदों की भाषाई द्वंद अब तक उसके मन मस्तिष्क में घर बना चुका है और कुछ प्रतिद्वंदी भी सामाजिक स्तर पर इस द्वंद को बनाए रखने में पूर्णता समर्थन कर रहे हैं जिससे क्षेत्रीय बोली के ऊपर और अधिक अंग्रेजी का बोझ बढ़ता जा रहा है इसमें कुछ ही लोग होते हैं जो इस माहौल में ढल जाते हैं बाकी अन्य लोग अपना रास्ता अपनी क्षेत्रीय भाषा में नाप लेते हैं 
हिंदी भाषा की बात करें तो यह विश्व की लगभग 3000 भाषाओं में से एक हैं
लेकिन बात हिंदी और हिन्दुस्तान कि हैं
जब देश आजाद नहीं हुआ था और हमें पूरे देश को एक जुट करना था । देश में ब्रिटिश राज था और भाषा अंग्रेजी दोनों ने मिलकर देश को बहुत नुकसान पहुंचाया हैं लेकिन दीर्घकाल से हिंदी देश में जन जन के पारस्परिक संपर्क की भाषा रही है यह केवल उत्तर भारत की भाषा नहीं बल्कि दक्षिण भारत के आचार्य की भी भाषा रही है
जिसके साथ साथ अहिंदी भाषी राज्यों के भक्त, संत, कवियों आदि ने भी साहित्य के माध्यम से हिंदी को अपनाया है
असम के शंकरदेव, महाराष्ट्र के ज्ञानेश्वर, नामदेव,
गुजरात के नरसी मेहता तथा बंगाल के चैतन्य आदि ।
यही कारण था जब जनता और सरकार के बीच संवाद स्थापना के क्रम में अंग्रेजी या फारसी के माध्यम से दिक्कतें पेश आई तो कंपनी सरकार ने फोर्ट विलियम कॉलेज में हिंदुस्तानी विभाग खोलकर अधिकारियों को हिंदी सिखाने की व्यवस्था की ।
यहां से पढ़े हुए अधिकारियों ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में और उसका प्रत्यक्ष लाभ देकर मुक्त कंठ से हिंदी को सराहा। यह पहल अंग्रेजों की तरफ से थी  ।
इससे पहले
प्राचीन हिंदी (1100 ई.-1400 ई.)
मध्यकालीन हिंदी (1400 ई.-1850 ई.)
और आधुनिक हिंदी (1850 ई. से अब तक) के भी युग रहे हैं
कुछ ओर अधिक जानने से पहले हम 'हिंदी शब्द' की उत्पत्ति के बारे में जानेंगे
हिंदी शब्द की उत्पत्ति- भारत के उत्तर - पश्चिम मैं प्रवाहमान सिंधु नदी से संबंधित है अधिकांश विदेशी यात्री उत्तर - पश्चिम सिंहद्वार से ही भारत आए थे इन विदेशियों ने जिस देश के दर्शन किए वह सिंधु का देश था ईरानी सिंधु को 'हिंदु' कहते थे हिंदु से 'हिन्द' बना और फिर हिन्द से फ़ारसी भाषा के सम्बन्ध कारक प्रत्येय 'ई' लगने से हिंदी बन गया । हिंदी का अर्थ है ' हिन्द का ।
 ' किन्तु रोचक तथ्य हिंदी शब्द मूलतः फारसी का है न कि हिंदी भाषा का ।
हिंदी शब्द की उत्पत्ति से तीन बातें सामने स्पष्ट है
सिंधु -} हिंदु -} हिन्द + ई -} हिंदी
इकबाल के अनुसार - 'हिंदी है हम, वतन है हिंदुस्ता हमारा'
हिंदी शब्द के दो अर्थ हैं - हिन्द देश के निवासी
हिंदी भाषा के विकास क्रम के साथ साथ में क्षेत्रीय भाषाओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता हैै
 आने वाले दौर में हम इस तरह की खरपतवार को काटेंगे जो हमारे द्वारा लगाई गई है लेकिन हमें पता ही नहीं चलेगा है कि यह हमने कब लगा दी ।
सार्थकता तब होगी जब हम गावों को भाव व भावनाओं से समझेंगे न कि बोली से क्योंकि भारत विविधता वाला देश हैं जिसमे भिन्न भिन्न भाषा,बोलियां, संस्कृति, नृत्य, संवाद, साहित्य, दर्शन,लोक परम्परा,गीत, गायन आदि अनेको विविधताओं से भरा हुआ है
8 वीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाएं हैं 
जैसे - असमिया, बांग्ला, गुजराती ,हिंदी ,कन्नड़ ,कश्मीरी ,मलयालम, मराठी ,उड़िया, पंजाबी ,संस्कृत, तमिल ,तेलुगू ,उर्दू,सिंधी, कोकणी, मणिपुरी, नेपाली, बोडो, डोंगरी ,मैथिली, संथाली आदि ।
लेकीन हम आज भी विदेशी भाषाओं को सीर पर उठा कर ढो रहे हैं और हमारी मूल भाषा की ओर कोई ध्यान नहीं है इसका मुख्य कारण दिखावा व अपने आप को एक संचार कौशल कुशाग्र मामना है
किन्तु ऐसा है कि हम सिर्फ अपना ही सोच रहे है आने वाले भावी भविष्व के बारे में नहीं सोचते ऐसा करना हमें आने वाले वक्त में बहुत घाटा देगा जिसकी क्षतिपूर्ति करना असाध्य होगी ।
किन्तु वास्तविकता यह भी है कि हमें हिंदी भाषा ने है आजादी दिलवाई हैं जिसमें पत्र, पत्रिकाएं,लेखन,लेख, अख़बार, वीर रस की कविताएं हिंदी भाषा में ही लिखी गई थी जिससे हमें ओर मजबूती मिलती गई और हम सक्षम होते चले गए ।
कुछ अन्य मत :-
राजाराम मोहन राय ने कहा(1828) : ' इस समग्र देश कि एकता के लिए हिंदी अनिवार्य है ' ।
दयानंद सरस्वती ने कहा(1875) :- ' हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता हैं' ।
महात्मा गांधी ने :- ' हिंदी के प्रश्न को स्वराज्य का प्रश्न मानते थे'
कुछ अंग्रेजो के मत -
विलियम केरी ने(1816) में लिखा :- हिंदी किसी एक देश कि भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है ।'
जार्ज ग्रियर्सन से हिंदी को ' आम बोलचाल की महाभाषा' कहा है ।
आदि अनेक ऐसे मत है जिन्होंने हिंदी भाषा का अनुसरण किया है इससे साफ होता है कि हमने हिंदी को अपनाने में बहुत समय लगा दिया ।
ओर आज उसका परिणाम हमारे सामने हैं जिसे हम शिक्षा के व्यवसाय से संबोधित करते है उसमे पढ़ना ओर पढ़ना हर किसी की बात नहीं हमें तो सिर्फ दो स्कूलों के नाम याद है एक हिंदी माध्यम तो दूसरा है अंग्रेजी माध्यम ।

जिस बात को कहने के लिए मैने यह लेख लिखा उसका मुख्य उददेश्य भाषाई शिक्षा हैं जो आज समझ बनाने में असक्षम है जिसके कारण क्षेत्रीय भाषा उच्च शिक्षा से मुक्त रह जाती हैं जो देश के किसी कोने से चलकर 
सांसद, राष्ट्रपति भवन तक जा सकती थीं । ऐसी युवा पीढ़ी अब अंग्रेजी की व्याकरण को समझने व उसकी भाषाकोश में उलझी हैं वह समझेगा तब तक उसका वक्त निकल जायेगा ।

संतोष तात्या (-tatya 'luciferin' )





सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह


सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह

वातावरणीय परिस्थिति के दौर में अपने आपको अच्छा तंदुरुस्त रखें । व्यायाम कीजिए स्वस्थ रहिए मस्त रहिए नकारात्मक चीजों को अपने ऊपर हावी ना होने दें।
हमारा शरीर एवम् मस्तिष्क प्राकृतिक रूप से इतना मजबूत है जो प्राणी जगत का एकमात्र विकसित, आत्म चिंतन से परिपूर्ण है जीवन की कला से लेकर अंतरिक्ष जगत की सेर खगोलीय पिंड से लेकर भूतल हवाई यात्रा एवं तकनीकी ज्ञान को विकसित किया है जिसने भी यह शुरुआत की है वह एक मानव ही है अतः हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए हम एक मजबूत व्यक्तित्व के धनी हैं हम जैसा सोचते हैं वैसा हो जाते हैं यहां यथार्थ है और वैसा ही हमारे साथ होने लगता है हम जिस तरह की संगत में रहते हैं उसका कुप्रभाव हमारे ऊपर भी पड़ता है इसलिए लोग संगति का विशेष ध्यान रखते हैं और अच्छी संगति की बात करते हैं क्योंकि वहां उन्हें उस तरह का वातावरण मिलता है
जो उनके जनजीवन को प्रभावित करता है तथा मानसिक असंतुलन और जीवन के अनेक आयामों को प्रभावित करता है यदि हम उच्च या अच्छी संगति की बात करें तो हमारे शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे हमें समस्त प्राणी प्रसन्न दिखाई देते हैं हम दूसरों की पीड़ा को समझ सकते हैं और उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं यह सिर्फ संगति से ही प्राप्त होता है बुरी चीजों से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि यह हमें एक दुर्गति प्रदान करती है इसलिए जितना हो तकनीकी का कम इस्तेमाल करें आजकल देखा जा रहा है मोबाइल फोन के स्टेटस पर अनेक प्रकार के भ्रांतिमान वीडियो का प्रयोग किया जा रहा है जो तस्वीरें हमारे सामने आ रही हैं वह बहुत ही भयंकर दिखाई दे रही है जिससे हमें मानसिक विकृति पैदा होती है और हम वैसा ही सोचने लगते हैं तथा लगातार एक ही एक चीज को देखने से हम और हमारे दिमाग में चल रही क्रियाएं उसके प्रति उत्तेजित होती है और हमारा मन मस्तिष्क उसे वह सूचना प्रेषित करता है जो हम देख रहे हैं जिससे हमें चिंतनीय नुकसान होता है एवम् एक प्रकार की कुंठित मानसिकता में समाहित हो जाते हैं यह प्राकृतिक ही है हम जैसा सोचेंगे वैसा ही हो जाएंगे यह सच है इसलिए अच्छा सोचे और सकारात्मक भाव को अपने अंदर लाएं जिससे हमें नवीन ऊर्जा का हमारे शरीर में लगातार संचार हों । हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप कार्य करता है यदि हम मानसिक तौर पर मजबूत रहेंगे हमें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं मिलेगी और ना ही होगी । लेकिन जब इंसान मानसिक तौर पर मजबूत नहीं होता है तो वहां शारीरिक रूप को मजबूत कैसे कर पाएगा इसीलिए मेरा आपसे यही निवेदन है सकारात्मक
सोचे और सकारात्मक पहलुओं को समझें नकारात्मक भाव को अपने दिमाग में ना आने दे और ना ही उनको हावी होने दे इससे हम और हमारा परिवार सुरक्षित रहेगा जितना हो सके आप मनोरंजन के साधन उपयोग में लाएं ।
किताबें पढ़ें व्यायाम करें घर में बच्चों के संग मस्ती करें परिवार के साथ कुछ गतिविधियां भी आयोजित करें जिससे हमारे परिवार वाले सभी शामिल हो उसमें एक दूसरे का सहयोग की आशा करें और उन्हें विश्वास दिलाएं अंतिम बात यही कहूंगा जरूरत हैं हमे जागरूक रहने कि सचेत रहने की वक्त है पुरानी किताबों को पढ़ने की धूल हटाकर उन्हें पढ़ने की ।
जिसको आपने पढ़ा नही समझा नहीं अब वक्त है उन्हें पढ़कर समझने का हमे अपने आप को सकारात्मक ऊर्जा के साथ मानसिक खुशी और पारिवारिक दायित्व को भी बढ़ावा मिलेगा । जो दैनिक जीवन में अति महत्वपूर्ण हैं । रोगप्रतिरोग क्षमता का विकास होगा । जिससे स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि होगी ।
धन्यवाद आपने अपना कीमती वक्त निकालकर इस लेख को पढ़ा इस पर अपनी टिप्पणी जरूर मुझे दें ताकि मैं आपको और अच्छा कंटेंट प्रदान कर सकूं पुनः धन्यवाद ।

–संतोष तात्या

एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ?


एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ?

एंटीबॉडी क्या हैं?
एंटीबॉडी को immunoglobulins भी कहते हैं एंटीबॉडी हमारे प्रतिरक्षा तन्त्र (immune systum) से बनती हैं ।
जब कोई वायरस, फंजाई या अन्य कीटाणु या Foreign Particles जो हमारे शरीर के अंदर आता है तो हमारा इम्मूनों सिस्टम चौकन्ना ( सजक ) हो जाता है इसके सजक हो जाने से 
प्रतिरक्षा तन्त्र (immune systum) एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर देता हैं । यह एंटीबॉडी 2 तरह से बनती हैं  ग्लाइको (Glyco) मतलब कार्बोहाइड्रेट और प्रोटिन (protein) मतलब प्रोटिन इन दोनों की बनी होती हैं । और यह globulin के साथ रहती हैं जिसे ig कहते हैैं  
हमारे रक्त में पहले से ही अनेक प्रकार के प्रोटिन मौजूद होते है अल्गुमीन, ग्लोबिन एवम् अन्य इनमें भी एंटीबॉडी होती हैं 
एंटीबॉडी का उत्पादन प्लाज्मा कोशिका ( plasma cell) से होता हैं । [ एंटीजन + T cell ये T cell, B cell को एक्टिव करता हैं B cell में एंटीबॉडी उपस्थित रहती हैं और B cell के active 
हो जानें से प्लाज्मा कोशिका (plasma cell) एंटीबॉडी (antibody) का उत्पादन शुरू कर देती हैं । यहीं एंटीबॉडी (antibody) एंटीजन (antigen) से सहभागिता(पहचान कर) उसे नष्ट कर देती हैं या नष्ट करने लग जाती हैं। ]  
यह एंटीबॉडी शरीर के अंदर अगल अलग प्रकार के प्रोटिन का निर्माण करता हैं जैसे – Ig इसका पूर्णरुप– immuno Globulin. 

एंटीबॉडी (antibody) के कार्य ? 
इसको समझने से पहले हमें एंटीजन (प्रतिजन) के बारे में समझना होगा । Antigen बाहरी तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के अंदर बीमारी पैदा करते हैं 
जैसे – Bacteria🦠🦠, Virus❄️, Fungus🕸️, parasites🐛, Toxins💮, drugs & chemicals🧪.
 यही एंटीजन हाथ मिलाने से, सांस लेने से, खाना खाने से या अन्य माध्यम से हमारे शरीर के अंदर जाकर हमें नुकसान पहुंचाते हैं । इन्हीं नुकसान से बचाने के लिए हमारे शरीर में एंटीबॉडी होती है जो हमारे शरीर की रक्षा कर उन्हें खत्म करती है।  
अब आपको समझ आ गया होगा की एंटीजन क्या हैं और क्या काम करती हैं अब हम एंटीबॉडी को समझते हैं ।
उदाहरण – एंटीजन (antigen) एक चोर हैं और किसी कॉलोनी में घुस गया हैं (अपने शरीर में) वहां पर 50 लोग अनजान रहते हैं ऐसे में हम पुलिस को बुलाएंगे हमें नहीं पता चोर कोन हैं लेकिन पुलिस के पास सभी का डेटा हैं जिस प्रकार पुलिस चोर को ढूंढ कर पकड़–पकड़ कर मारती हैं घसीटती हैं डंडे बरसाती हैं ठीक उसी प्रकार हमारी एंटीबॉडी (पुलिस) भी एंटीजन (चोर) को रगड़ रगड़ कर नष्ट कर देती हैं । 

एंटीबॉडी (antibody) कितने प्रकार की होती हैं ? 
यह 5 प्रकार की होती हैं ।
1.) IgD
2.) IgE
3.) IgG
4.) IgM 
5.) IgA 
इनमे से कुछ एंटीबॉडी के उप वर्ग भी होते हैं 
जैसेIgG– IgG 1, IgG 2, IgG 3, IgG4 
          IgA– IgA 1, IgA 2 

इसकी संरचना को देखते हैं 
  igG, igD, igE, इन सभी की संरचना Y के समान होती हैं लेकिन igM और igA में इनकी संरचना अन्य से भिन्न होती है । जो प्रोटीन से बने मॉलिक्यूल्स होते हैं जो आपकी इम्यूनोसिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करते हैं । 
इसमें दो चैन पाई जाती है पहली हैवी चैन (heavy chain) 
दूसरी लाइट चैन (light chain) होती हैं तो इसमें दो लाइट चैन तथा दो हैवी चैन होती हैं जिसे H2 L2 यह इसका फॉर्मूला माना जाता हैं । इनके अंदर बॉन्ड्स बने होते हैं यह सल्फर के बने होते हैं जो यह ब्रिज का काम करते हैं इस लिए इन्हें डायसल्फाइड ब्रिज (Disulphide bridge) कहा गया हैं इनको संख्या 16 होती हैं । 
इसका निचला हिस्सा स्थायी रहता हैं किंतु इसका ऊपरी हिस्सा बदलता रहता है जिसे variable regeon कहते हैं । 
इसमें heavy chain में है तो variable regeon of heavy chain कहलाता हैं । यदि light chain में है तो variable regeon of light chain कहलाता हैं ।

तो दोस्तों आज़ हमने एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ? इन सबको बहुत ही अच्छे ढंग से समझा अन्य लेख को पढ़ने के लिए इसी वेब ब्लाग पेज पर सर्च करें । इस महत्व्त्वपूर्ण जानकारी को अधिक सेे अधिक लोगों तक  साझा । और लोगो को जागरूक बनाएं धन्यवाद। 


प्लाज्मा क्या है ? प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं? प्लाज्मा थैरेपी कैसे दी जाती हैं ? प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ?

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे प्लाज्मा थेरेपी की प्लाज्मा थेरेपी क्या होती है यह क्यों जरूरी है और क्यों दी जाती है? 
प्लाज्मा थैरेपी (plasma therapy) इसकी शुरुआत आज से नहीं कई दशकों से चली आ रही है
 भिन्न-भिन्न बीमारियों के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है वर्तमान में कोरोना महामारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है इसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज का माध्यम बनाने की कोशिश की जा रही है ऐसे में भारत में भी इसका प्रयोग किया गया है सबसे पहले केरल में किया गया था और उसके बाद दिल्ली में फिर अन्य राज्यों ने भी इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए यह प्रक्रिया अपनाई हैं ।

प्लाज्मा और रक्त को समझते हैं ? 
प्लाज्मा हमारे रक्त (Blood) का 55% हिस्सा है ब्लड के अंदर आरबीसी डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स पाए जाते हैं यह रक्त के पार्टिकल्स (particles) होता है जिनका शरीर के अंदर ब्लड में 40% की मात्रा होती है बाकी शेष भाग में प्लाज्मा 55 प्रतिशत 
मौजूद होता है इस प्लाज्मा में एंटीबॉडी मौजूद होती हैं जो हमारे शरीर को रोगों (एंटीजन) से लड़कर बचाने का काम करती हैं इस 55% प्लाज्मा को एक शरीर से दूसरे शरीर में किसी बीमारी को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है लेकीन प्लाज्मा उसी व्यक्ति का लिया जाता हैं जिस बीमारी या संक्रमण से वह ठीक हुवा हैं क्यों कि उसकी एंटीबॉडी (antibody) शक्ति शाली हों जाती हैं उस बीमारी से लड़ने के लिए ।  
अब हम बात करते हैं प्लाज्मा क्या है ?
प्लाज्मा रक्त के अंदर पीले रंग का द्रव होता हैं जो RBC, WBC और प्लेटलेट्स को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में 
मदद करता हैं अर्थात् जिस प्रकार घर बनाते समय हम माल़–मसाला बनाते हैं उसमें गिट्टी, रेत और सीमेंट का मिश्रण तैयार किया जाता हैं और बाद में पानी डाला जाता हैं यही पानी हमारे रक्त के अंदर प्लाज्मा का काम करता हैं । और गिट्टी, रेत सीमेंट RBC WBC और अन्य होती हैं । 

तो हमने प्लाज्मा को समझा । अब हम प्लाज्मा थैरेपी को समझते हैं ? इसको कैसे दी जाती हैं ? 
प्लाज्मा थैरेपी में उस व्यक्ति का प्लाज्मा लिया जाता हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित था अब उसने कोरोना वाइरस से जंग जीत ली हैं । जो अब पुर्णरूप से स्वास्थ्य हैं उसका प्लाज्मा 28 दिन के बाद या 4 हफ़्ते के बाद लिया जाता है और उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता हैं । क्योंकि ठीक हुवे व्यक्ति के प्लाज्मा में कोरोना वाइरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी (antibody) का विकास हो चुका होता हैं जो कोरोना वाइरस को पहचान कर नष्ट करने में पूर्णतः दक्ष होती है । और संक्रमित व्यक्ति धीरे धीरे ठीक होने लगता हैं 
यह प्रक्रिया बहुत हद तक कारगार हैं इस तरह कोरोना संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टर के अनुसार मरीज का प्लाज्मा थैरेपी के माध्यम से ईलाज किया जाता हैं या प्लाज्मा थैरेपी इस प्रकार दी जाती हैं ।  
उदाहरण के तौर पर हम इसे इस प्रकार समझते हैं 
मानव शरीर के प्लाज्मा में एंटीबॉडी के तौर पर एक योद्धा है वहां किसी भी बीमारी को पराजित करने में सक्षम है वह अपने शत्रु को भापकर तुरंत युद्ध कर शत्रु को हरा देता है व सेना को आदेश दे कर उसे घेरा बनाकर मार देते हैं वह योद्धा सभी की आंखों में छा जाता है क्योंकि उसने एक ऐसे अनजान व्यक्ति (कोरोना) से लोहा लिया और उसे धूल चटा कर निस्तेनाबूद कर दिया । अर्थात् हमने समझा किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का वायरस चपेट में ले लेता है उसे प्लाज्मा के अंदर मौजूद एंटीबॉडी उसकी पहचान कर उसको नष्ट कर देता है और हमारे शरीर को स्वास्थ्य एवम् सुरक्षित बनाए रखता हैं । 

प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ? 
Corona Virus से संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण से ठीक होने के 28 दिन के बाद कोई भी व्यक्ति प्लाज़्मा डोनेट कर सकता है। प्लाज़्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति की सेहत पर प्लाज्मा डोनेट करने का कोई असर नहीं पड़ता। स्वस्थ इंसान से लगभग 200 ml से 250 ml तक प्लाज़्मा लिया जाता है और मरीज को 200 ml तक दिया जाता है या डॉक्टर के मार्गदर्शन के अनुसार।  

तो आज़ हमने जाना प्लाज्मा क्या है ? प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं? प्लाज्मा थैरेपी कैसे दी जाती हैं ? प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ? इसके अलावा अन्य जानकारी अन्य लेख में मिलेगी जैसे– आपके शरीर में कितने % ऑक्सीजन होनी चाहिए ? कोरोना वायरस क्या हैं? वर्तमान में कितने प्रकार का हैं? कोरोना टेस्ट कैसे किया जाता हैं? RT–PCR क्या हैं ? ऑक्सीमीटर क्या है? क्या काम करता हैं? यह सब भी जान सकते हैं इस वेबसाइट में और आपके सारे सवालों का जवाब भी । साथ ही जागरूक नागरिक बने और अन्य लोगो को भी जागरूक बनाएं इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें । लेख को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव अवश्य दें । धन्यवाद 

टीकाकरण (Vaccination) के लिए रजिस्ट्रेशन कहां और कैसे करें? टीकाकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होंगे ?

5 मई से शुरू होने वाले टीकाकरण में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और निजी अस्पतालों को भी शामिल किया गया है। वर्तमान में 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा था। 
लेकिन अब बारी है 18 से 44 वर्ष के सभी लोगों को टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन की ।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 28 अप्रैल 2021 से शुरू कर दी गई हैं 

कैसे और कहां करें रजिस्ट्रेशन–
आपको vaccination के लिए कोविन पोर्टल (cowin.gov.in),  कोविन ऐप, आरोग्य सेतु  ऐप तथा उमंग की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं 
 रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज –
1.) मोबाईल नंबर 
2.) एक पासपोर्ट साइज फ़ोटो 
3. आईडी कार्ड ( वोटर आईडी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि । )
वहां पर उन्हें अपने मोबाइल नम्बर को दर्ज करना होगा। उसके बाद एक ओटीपी के जरिए अपना एकाउंट बनाना होंगा।
उसमें दिए गए फॉर्म में नाम, उम्र, लैंगिक जानकारी के साथ आधार-कार्ड अपलोड करना होगा, जिसके बाद टीकाकरण केंद्र का चयन कर अप्वाइंटमेंट लेकर दी गई समय सीमा में जाना होगा और वैक्सीन लगवाई जा सकेगी । 

तो हमने इस लेख में जाना की वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन 
कहां और कैसे करें? टीकाकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होंगे । 

अब हम सवालों पर चलते हैं कि किस तरह के हमारे सवाल हो सकते है ? 

1.) क्या हम वैक्सीनेशन के लिए दिन और दिनांक चुन सकते हैं? 
उत्तर – बिल्कुल चुन सकते हैं 

2.) डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी या पड़ेगी । 
उत्तर – 1 पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो, आईडी कार्ड ( वोटर आईडी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि । )

3.) जब टीकाकरण के लिए जाएंगे तो कौन सी आईडी ले जानी पड़ेगी ? 
उत्तर– जो आपने रजिस्ट्रेशन के दौरान दी थी वह आईडी ले जानी होगी । 

4.) वैक्सीन के कितने डोज होंगे ? 
उत्तर– वैक्सीन के दो डोज होंगे । 

5.) वैक्सीन के दोनों डोज कितने दिन के अंतराल लगेंगे? 
उत्तर– यदि आपको कोवेक्सीन लगी हैं तो पहले डोज के दिन से 4–6 हफ़्ते बाद दूसरा डोज लगवाना हैं 
और यदि आपको कोवेशील्ड  लगी हैं तो पहले डोज के दिन से 4–8 हफ़्ते के बाद दूसरा डोज लगवाना हैं 


6.) कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों लगवा सकता हूं ? 
उत्तर– नहीं ( केवल एक ही लगवा सकते हैं) 
7.) क्या मैं अपनी मर्जी से वैक्सीन लगवा सकता हूं
उत्तर– नहीं (जो वैक्सीनेशन सेंटर पर उपलब्ध होगी वही आपको लगाई जाएगी) ।

8.) क्या मुझे दोनों डोज के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन करवाना होगा ? 
उत्तर– नहीं केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करवाना होगा । 

9.) क्या कोरोना से ठीक हो जाने के बाद भी वैक्सिंग लगवाना हैं ?
उत्तर – जी हां लगवाना है। 

10.) वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए? 
उत्तर – स्तनपान कराने वाली महिला (बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला को) , गर्भवती महिला को , कोरोना मरीज को और किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। 
11.) पहला डोज कोवैक्सिन का लगवाया था तो क्या अब दुसरा डोज कोविशील्ड वैक्सीन का लगवा सकता हूं ? 
उत्तर – बिल्कुल नहीं यदि आपने पहला डोज कोवैक्सीन का लगवाया है तो दूसरा भी कोवैक्सीन का ही डोज लगवाना है ।
(अर्थात पहला डोज जिस वैक्सीन का लगवाया है दूसरा भी उसी वैक्सीन का लगवाना है) 

12.) क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी मुझे मास्क पहनना और सैनिटाइजर का उपयोग एवम् सावधानी रखनी होगी । 
उत्तर – 100% मास्क पहनना होगा और सावधानी के साथ रहना होगा । 
13.) टीकाकरण (vaccination) के बाद किस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं ? 
उत्तर – वैक्सीन वाले स्थान पर हल्का सा दर्द, सिर दर्द ,बुखार, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 

14.) क्या हल्का सा दर्द, सिर दर्द ,बुखार, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह से दवाई ले सकते हैं?
उत्तर – डॉक्टर की परामर्श के अनुसार दवाई ले सकते हैं।

15.) क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना हो सकता है?
उत्तर – वैक्सीन कोरोना से बचाव की 100% पुष्टि नहीं करती है लेकिन हां कोरोना से लड़ने के लिए आपकी शक्ति जरूर बडाती है

16.) दोनों वैक्सीन की कीमत कितनी है? 
उत्तर – सरकारी vaccination centre में यह मुक्त में लगाई जा रही हैं प्राइवेट में आपको इसका पैसा देना होगा । 
तो हमने सभी प्रश्नों को बहुत अच्छे से समझा वेबसाइड लिंक 
https://www.cowin.gov.in/home
https://web.umang.gov.in/web_new/login?redirect_to=  इन लिंक पर क्लिक कर आप अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं । और अधिक जानकारी के लिए ब्लॉक्स को पढ़ते रहें और अन्य लोगों तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी साझा करें और लोगों को जागरूक बनाएं एवं स्वयं भी जागरूक नागरिक बने । 

हमारे शरीर में ऑक्सीजन कितने % होनी चाहिए ?

हमारे शरीर में ऑक्सीजन कितने % होनी चाहिए ?
और इसका मापन कैसे किया जाता है?

पर्यावरण में 21% ऑक्सीजन मौजूद है तथा 71% नाइट्रोजन होती हैं और यही 21% ऑक्सीजन हमारे शरीर में प्रवेश करती है जिससे हम जिंदा रहते हैं जो अशुद्ध होती है इसमें नाइट्रोजन कार्बन
 डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन व वातावरण में मौजूद समस्त प्रकार की कैसे होती है लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर में भरी हुई ऑक्सीजन गैस 98% तक शुद्ध होती है इसमें किसी भी प्रकार की अशुद्ध ता नहीं होती है 
(अलग अलग oxygen कंपनियां अपने तरीके से इसकी शुद्धता का % तैयार करती हैं) 
हमारे शरीर में ऑक्सीजन (सैचुरेटेड पल्स ऑक्सीजन ) 94% से कम नहीं होना चाहिए । इससे कम होती है तो हमारे शरीर में Oxygen की कमी होने लगती हैं । तथा घबराहट और बैचेनी बड़ने लगती हैं 

 अब हम पल्स ऑक्सीमीटर के बारे में जानेंगे ये होता क्या हैं?
ये मशीन दिखती कैसी हैं? 
पल्स ऑक्सीमिटर एक छोटी सी मशीन है जो 60 से 90 सेकंड में हमारे शरीर में Oxygen कितना हैं हमारे शरीर में पल्स कितना है हमारे शरीर में परफ्यूशन इंडेक्स कितना हैं ये तीनों को बहुत ही कम समय में पता कर हमे सटीक परिणाम देती हैं 
नीचे दिए चित्र में पल्स ऑक्सीमीटर मशीन हैं 
अब हम तीनों कार्य को समझते हैं  
1.) Puls oximeter (PO) - इस मशीन को सीधे हाथ की अनामिका (अंगूठे के पास की उंगली) मैं लगाया जाता है saturated pulse oxygen को को बताती है जिसे संक्षिप्त रूप में 
SPO2 % यह हमारे शरीर में 94% से ज्यादा होना चाहिए से इससे कम नहीं होना चाहिए । (Oxygen level)

2.) Puls rate (PR) - शरीर के अंदर पल्स रेट 60 से 90 के बीच होना चाहिए । (हार्ड बीट) 

3.) Perfussion index (PI) - परफ्यूशन इंडेक्स यह 2 से 20 के बीच होना चाहिए । किंतु 0.5 से कम कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि यह ब्लड के अंदर आक्सीजन की उपस्थिति को दर्शाता है कि अंतिम नब्ज़ तक अर्थात कितनी मात्रा में नब्ज (धमनी शिरा) को oxygen मिल रही हैं । इससे कम होगी तो इसका मतलब है कि शरीर के अंतिम अंग को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है 2 से 20 के बीच होना चाहिए ।
(नोट – ऑक्सीजन अन्य उपकरणों एवम् मशीन द्वारा मापी जाती हैं)

तो आज हमने पल्स ऑक्सीमीटर को जाना और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समझा । 
इस लेख में महत्वपूर्ण जानकारी आपसे साझा की गई है जो आपको जागरूक बनाएगी और  आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी  । इस लेख को आगे भी भेजे जिससे अन्य लोगो को यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकें । 

कोरोना टेस्ट कैसे किया जाता हैं ?

कोरोना वायरस एक प्रकार का आर.एन.ए. (RNA) वायरस है जो सिंगल हेलिक्स होता हैै 

 जैसा की ऊपर चित्र में बताया गया हैं और हमारे शरीर के अंदर डीएनए (DNA) पाया जाता है डीएनए (DNA) डबल हेलिक्स की संरचना होती है  जैसा की नीचे चित्र में बताया गया हैं

हमारे पास वर्तमान में RNA को चेक करने की कोई आधुनिक उपकरण मौजूद नहीं है 
उदाहरण :– जैसे हमें किसी RNA को चेक करना है या किसी का डीएनए (DNA) चेक करना है तो हम सबसे पहले डीएनए (DNA) चेक करते हैं क्योंकि हमारे पास डीएनए चेक करने की तकनीक मौजूद लेकिन आर एन ए (RNA) की तकनीक हमारे पास नहीं है कोरोना वायरस में डीएनए नहीं होता इसलिए हमें आर एन ए (RNA) के सिंगल हेलिक्स को जोड़कर डीएनए में परिवर्तित (कन्वर्ट) करना होता है डीएनए (DNA) को तोड़ने की प्रक्रिया को ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं इसी प्रकार आर एन ए (RNA) को जोड़ने की प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (RT) कहते हैं ।
अर्थात इसी को ही RT कहते हैं 

अब हम पीसीआर (PCR) के बारे में जानेंगे –
PCR जिसका पूर्ण रूप पॉलीमैरेस चैन रिएक्शन हैं 

RT–PCR का पूर्ण रूप – रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन
पॉलीमैरेस चैन रिएक्शन हैं 

Full form of RT – PCR = Reverse transcription
Polymerase chain reaction 

RT– PCR मशीन कैसी दिखती हैं ? 
या RT– PCR  मशीन कैसी होती हैं ? 
नीचे दिए गए चित्र में RT– PCR मशीन हैं 
 RT – PCR को चेक कैसे करते हैं ? 
या चेक करने की प्रक्रिया क्या है ? 
या RT–PCR क्या हैं ? 

संक्रमित व्यक्ति या साधारण व्यक्ति के मुंह और नाक से निकाले गए सलाइवा में RNA पाया जाता है नाक और मुंह से निकाले गए 
सलाइवा को डीएनए में परिवर्तन (converd) करने के लिए RT–PCR मशीन का उपयोग किया जाता है और इस RNA को डीएनए (DNA) के डबल हेलिक्स में परिवर्तित किया जाता है । 
इसमें विशेषज्ञों की टीम एवं डॉक्टरों ने एक पैमाना रखा गया है
जिसमें उन्होंने thresholds की बात कही है
यहां एक मानक पैमाना है जिसमें यह दर्शाया गया है की आर एन ए (RNA) की कितनी डबल हेलिक्स बनाई जाएगी की वह कोरोना वायरस को प्रदर्शित कर सके ।
(इसका सीधा अर्थ है की कितनी डबल हेलिक्स बनाई जाए जो कोरोना होने का प्रमाण प्रदर्शित करें । )
यदि cycle thresholds की 20 या 30 या फिर उससे अधिक बार घुमाने पर CT value अधिक आ रही है यानी सिटी वैल्यू अधिक है तो आप कोरोना के शिकार नहीं है और ना ही आपको खतरा है लेकिन CT Value यदि आपकी कम है अर्थात cycle thresholds कम है तो आपको कोरोना हो चुका है या आप कोरोना पॉजिटिव है यह निश्चित करता है उसकी सिटी वैल्यू पर । 

उदाहरण :– के अनुसार हम इस प्रकार देखें यदि गन्ने की मशीन से गन्ने का जूस निकाला जाए तो सबसे ज्यादा जूस उस गन्ने का निकलेगा जिसमें सबसे ज्यादा रस है मतलब गाने की मशीन को एक दो या पांच – छह बार घुमाने पर ही गन्ने का पूरा रस निकल जाएगा । इसका मतलब है कि गन्ने में रस है इसी प्रकार से TC Value को भी घुमाया जाता है यदि कम घूमने पर ही उसमे लक्षण दिखाई दिए या लक्षण दिखाई देते हैं तो वह व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव होता है और यदि सूखे गन्ना या कमजोर गन्ने या फिर किसी ऐसे गन्ने का जूस निकाला जाए जिसमें रस ही नहीं हो तो हम उसे 10, 15, 20 और 25 बार भी घुमाएंगे लेकिन फिर भी उसमें रस पर्याप्त मात्रा में नहीं आएगा ठीक सिटी वैल्यू CT Value को भी इसी प्रकार घुमाया जाता है यदि आपकी CT Value 25 से 30 या इससे अधिक आती है तो आप पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं आप कोरोना नेगेटिव हैं तो हमने सिटी वैल्यू (CT Value) क्या होती है और उसे कैसे निकाला जाता है इस लेख में विस्तार पूर्वक समझा ।
इस महत्वपूर्ण जानकारी को अन्य लोगो के साथ भी साझा करें और लोगो को जागरूक करें । धन्यवाद 

कोरोना वायरस क्या हैं

कोरोनावायरस (Corona virus) क्या हैं?


 विषाणुओं(वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों (मानव) में रोग उत्पन्न करता है। यह एक आरएनए (RNA) वायरस  हैं। इसके कारण मानव में श्वास तंत्र मे संक्रमण होता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है।  इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या 
विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए मानव के प्रतिरक्षा तंत्र पर निर्भर करता की वह कितना मजबूत हैं  इसकेे साथ अन्य रोग  व लक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। तथा वेक्सीन जो की हमारी इम्यूनो सिस्टम को मज़बूत बनाए रखे एवम वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करें । 
वर्तमान में कोरोना वायरस के प्रकार –
1.) Primary Corona virus - जिसकी शुरुआत चाइना के हुवान शहर से 2020 में शुरू हुई थी ।

2.) New stran - जो 2021 में आया है ये शरीर में oxygen की मात्रा को बहुत कम कर दे रहा हैं । यानी सांस लेने में तकलीफ को जन्म दे रहा हैं । इसमें व्यक्ति के बहुत कम चांस होते हैं बचने के ।

3.) Post vaccine corona - यहां करोना उन व्यक्तियों को होता है जिनको वैक्सीन लग चुकी है उसके 10 से 15 दिन बाद यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं या पाया जाता है तो उसे पोस्ट वैक्सीन कोरोना कहते हैं इसमें व्यक्ति को ज्यादा खतरा नहीं होता है मरीज को या व्यक्ति को अन्य कोई बीमारी है तो कुछ कहा नहीं जा सकता ।

4.) Re- infected corona - इसको आप इस प्रकार से समझे की व्यक्ति को 1 महीने या 2 महीने बाद कोरोना वापस हो गया हो तो इसमें भी ज्यादा जान की हानि नहीं है और किसी प्रकार का ज्यादा खतरा नहीं रहता है यदि मरीज को अन्य कोई बीमारी है तो कुछ कहा नहीं जा सकता ।

 तो हमने इस लेख में जाना की कोरोना वायरस क्या हैं कितने प्रकार का हैं और अब यह new stran में चल रहा हैं जो की हमारे भारत देश में एक विकराल रूप धारण कर चुका हैं । 
इस तरह की जानकारी से जुड़े रहें और अन्य लोगो को भी जोड़े इसके लिए इसको आप ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इस बात को साझा करें ।