प्लाज्मा थैरेपी (plasma therapy) इसकी शुरुआत आज से नहीं कई दशकों से चली आ रही है
भिन्न-भिन्न बीमारियों के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है वर्तमान में कोरोना महामारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है इसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज का माध्यम बनाने की कोशिश की जा रही है ऐसे में भारत में भी इसका प्रयोग किया गया है सबसे पहले केरल में किया गया था और उसके बाद दिल्ली में फिर अन्य राज्यों ने भी इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए यह प्रक्रिया अपनाई हैं ।
प्लाज्मा और रक्त को समझते हैं ?
प्लाज्मा हमारे रक्त (Blood) का 55% हिस्सा है ब्लड के अंदर आरबीसी डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स पाए जाते हैं यह रक्त के पार्टिकल्स (particles) होता है जिनका शरीर के अंदर ब्लड में 40% की मात्रा होती है बाकी शेष भाग में प्लाज्मा 55 प्रतिशत
मौजूद होता है इस प्लाज्मा में एंटीबॉडी मौजूद होती हैं जो हमारे शरीर को रोगों (एंटीजन) से लड़कर बचाने का काम करती हैं इस 55% प्लाज्मा को एक शरीर से दूसरे शरीर में किसी बीमारी को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है लेकीन प्लाज्मा उसी व्यक्ति का लिया जाता हैं जिस बीमारी या संक्रमण से वह ठीक हुवा हैं क्यों कि उसकी एंटीबॉडी (antibody) शक्ति शाली हों जाती हैं उस बीमारी से लड़ने के लिए ।
अब हम बात करते हैं प्लाज्मा क्या है ?
प्लाज्मा रक्त के अंदर पीले रंग का द्रव होता हैं जो RBC, WBC और प्लेटलेट्स को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में
मदद करता हैं अर्थात् जिस प्रकार घर बनाते समय हम माल़–मसाला बनाते हैं उसमें गिट्टी, रेत और सीमेंट का मिश्रण तैयार किया जाता हैं और बाद में पानी डाला जाता हैं यही पानी हमारे रक्त के अंदर प्लाज्मा का काम करता हैं । और गिट्टी, रेत सीमेंट RBC WBC और अन्य होती हैं ।
तो हमने प्लाज्मा को समझा । अब हम प्लाज्मा थैरेपी को समझते हैं ? इसको कैसे दी जाती हैं ?
प्लाज्मा थैरेपी में उस व्यक्ति का प्लाज्मा लिया जाता हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित था अब उसने कोरोना वाइरस से जंग जीत ली हैं । जो अब पुर्णरूप से स्वास्थ्य हैं उसका प्लाज्मा 28 दिन के बाद या 4 हफ़्ते के बाद लिया जाता है और उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता हैं । क्योंकि ठीक हुवे व्यक्ति के प्लाज्मा में कोरोना वाइरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी (antibody) का विकास हो चुका होता हैं जो कोरोना वाइरस को पहचान कर नष्ट करने में पूर्णतः दक्ष होती है । और संक्रमित व्यक्ति धीरे धीरे ठीक होने लगता हैं
यह प्रक्रिया बहुत हद तक कारगार हैं इस तरह कोरोना संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टर के अनुसार मरीज का प्लाज्मा थैरेपी के माध्यम से ईलाज किया जाता हैं या प्लाज्मा थैरेपी इस प्रकार दी जाती हैं ।
उदाहरण के तौर पर हम इसे इस प्रकार समझते हैं
मानव शरीर के प्लाज्मा में एंटीबॉडी के तौर पर एक योद्धा है वहां किसी भी बीमारी को पराजित करने में सक्षम है वह अपने शत्रु को भापकर तुरंत युद्ध कर शत्रु को हरा देता है व सेना को आदेश दे कर उसे घेरा बनाकर मार देते हैं वह योद्धा सभी की आंखों में छा जाता है क्योंकि उसने एक ऐसे अनजान व्यक्ति (कोरोना) से लोहा लिया और उसे धूल चटा कर निस्तेनाबूद कर दिया । अर्थात् हमने समझा किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का वायरस चपेट में ले लेता है उसे प्लाज्मा के अंदर मौजूद एंटीबॉडी उसकी पहचान कर उसको नष्ट कर देता है और हमारे शरीर को स्वास्थ्य एवम् सुरक्षित बनाए रखता हैं ।
प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ?
Corona Virus से संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण से ठीक होने के 28 दिन के बाद कोई भी व्यक्ति प्लाज़्मा डोनेट कर सकता है। प्लाज़्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति की सेहत पर प्लाज्मा डोनेट करने का कोई असर नहीं पड़ता। स्वस्थ इंसान से लगभग 200 ml से 250 ml तक प्लाज़्मा लिया जाता है और मरीज को 200 ml तक दिया जाता है या डॉक्टर के मार्गदर्शन के अनुसार।
तो आज़ हमने जाना प्लाज्मा क्या है ? प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं? प्लाज्मा थैरेपी कैसे दी जाती हैं ? प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ? इसके अलावा अन्य जानकारी अन्य लेख में मिलेगी जैसे– आपके शरीर में कितने % ऑक्सीजन होनी चाहिए ? कोरोना वायरस क्या हैं? वर्तमान में कितने प्रकार का हैं? कोरोना टेस्ट कैसे किया जाता हैं? RT–PCR क्या हैं ? ऑक्सीमीटर क्या है? क्या काम करता हैं? यह सब भी जान सकते हैं इस वेबसाइट में और आपके सारे सवालों का जवाब भी । साथ ही जागरूक नागरिक बने और अन्य लोगो को भी जागरूक बनाएं इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें । लेख को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव अवश्य दें । धन्यवाद
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