कभी हस भी लिया करो
निश्चित ही यह वाक्य अब मानव मात्र व समुदाय से कहीं ना कहीं गायब होते जा रहे हैं एक तरफ मनोरंजन के क्षेत्र में हंसी थीठोले मस्ती नटखट अदाएं वाले नाटक प्रोग्राम आज मनोरंजन के उच्च स्तर के साधन बने हुए हैं क्या यह पर्याप्त नहीं था जो मोबाइल ने इसको पीछे धकेल दिया आज कितने ऐसे एप्लीकेशन मौजूद है जैसे :- tiktok,helo,likes,Vmate,kwai और sharechat आदि अनेक एप्लीकेशन वर्तमान में मौजूद हैं जिस पर काफी सारा वक्त गुजार कर अपने आप को तनाव मुक्त एवम् बिना आत्म चिंतन के हंसाया गुदगुदाया जा सकता है तथा इंटरनेट की दुनिया में इस प्रकार की वेशभूषा से भरपूर उपहार सामग्री आपको परोसी जा रही हैं निश्चित ही वह दौर चला गया जिसमें आत्मीय सुकून सकारात्मक ऊर्जा तथा मानव हित से परिपूर्ण बातें होती रही है लेकिन वर्तमान में इसके विपरीत है जो हमें हंसाने में तो कामयाब हुआ है लेकिन उसका सामाजिक प्रभाव ।
निश्चित ही यह वाक्य अब मानव मात्र व समुदाय से कहीं ना कहीं गायब होते जा रहे हैं एक तरफ मनोरंजन के क्षेत्र में हंसी थीठोले मस्ती नटखट अदाएं वाले नाटक प्रोग्राम आज मनोरंजन के उच्च स्तर के साधन बने हुए हैं क्या यह पर्याप्त नहीं था जो मोबाइल ने इसको पीछे धकेल दिया आज कितने ऐसे एप्लीकेशन मौजूद है जैसे :- tiktok,helo,likes,Vmate,kwai और sharechat आदि अनेक एप्लीकेशन वर्तमान में मौजूद हैं जिस पर काफी सारा वक्त गुजार कर अपने आप को तनाव मुक्त एवम् बिना आत्म चिंतन के हंसाया गुदगुदाया जा सकता है तथा इंटरनेट की दुनिया में इस प्रकार की वेशभूषा से भरपूर उपहार सामग्री आपको परोसी जा रही हैं निश्चित ही वह दौर चला गया जिसमें आत्मीय सुकून सकारात्मक ऊर्जा तथा मानव हित से परिपूर्ण बातें होती रही है लेकिन वर्तमान में इसके विपरीत है जो हमें हंसाने में तो कामयाब हुआ है लेकिन उसका सामाजिक प्रभाव ।
उदाहरण :- हम सब ने "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" धारावाहिक देखते आ रहे हैं जो आज के समय में अपनी चरम सीमा पर है
दया और जेठालाल के द्वारा जिस प्रकार चुटकुले हंसी ठिठोली काबिले तारीफ है लेकिन एक और वह बारिक हिस्सा जो हम सब देखते हैं लेकिन समझने की आज तक हमने कोशिश ही नहीं की जो आने वाले समय में बच्चों के दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा कभी नहीं उत्पन्न कर सकता !
जी हां । मैं उस बारिक हिस्से की बात कर रहा हूं जिसमें जेठालाल की नजर बबीता जी के ऊपर पढ़ते ही एक विशिष्ट परिस्थिति को निर्मित करते हैं जिसमें बबीता जी के प्रति उनका लार टपकाना ।
आप सोचिए ? जिसके पास इतनी सुंदर पत्नी है हंसी ठिठोली के लिए वह अपना प्यार दुलार बबीता जी के लिए संजोए फिरता है
मुझे सोचने के लिए मजबूर तब किया जब हम उस समय इस धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा घर पर सपरिवार देख रहे थे उसमे बैठा हुआ मेरे पास नन्ना बच्चा तकरीबन 9 से 10 साल का जेठालाल और बबीता के प्रसंग को देखते ही बोल पड़ा !
जैसे ही जेठालाल बबिता के देखे येके लाल टपकने लागीं जाए (मालवी भाषा में लिखा है आप 2 बार पढ़ें)
क्या ? उस बच्चे की प्रसंग को देखकर वास्तविक भावना जागृत हुई क्या वह सकारात्मक हंसी कहलाएगी ?
हालांकि खुशी खुशी होती हैं खुशी की कोई सही परिभाषा नहीं हो सकती; खुशी तब होती है जब आपको लगता है कि आप दुनिया के शीर्ष पर हैं जहां पूर्ण संतुष्टि की भावना प्रबल है
हम सभी खुश रहना चाहते हैं,
लेकिन बहुत-से लोग खुश नहीं हैं। जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हें नहीं पता कि खुशी कैसे पायी जा सकती है। वे सोचते हैं कि ढेर सारी चीज़ें होने से खुशी मिलती है। लेकिन जब उन्हें वे चीज़ें मिल जाती हैं तो उनकी खुशी ज़्यादा दिन तक नहीं टिकती।
खुश रहने का एक राज़ है। उसके बारे में महान शिक्षक ने कहा: “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” तो अब बताओ खुश रहने का राज़ क्या है?— हाँ, अगर हम दूसरों को कुछ देंगे या उनके लिए कुछ करेंगे, तो हमें खुशी मिलेगी। क्या आपको यह बात पता थी?
चलो इस बारे में थोड़ा और सोचते हैं। क्या यीशु के कहने का यह मतलब था कि जिसे तोहफा मिलता है क्या वह खुश नहीं होता?— नहीं, उसके कहने का यह मतलब नहीं था। जब कोई आपको तोहफा देता है तो आपको अच्छा लगता है ना?— सबको अच्छा लगता है। जब हमें कोई अच्छी चीज़ मिलती है तो हमें खुशी होती है।
अब हम इस पर थोड़ा और जोर डालते हैं
टीआई इंदौर कोरोना काल में महीने भर से ड्यूटी कर रहे थें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब उन्हें पता चला की मुझे वीकली ऑफ(साप्ताहिक छुट्टी) मिला है
वह सुबह से ही बहुत खुश हैं क्योंकि उनके 28 वर्ष के कार्यकाल में पहली बार उन्हें वीकली ऑफ(साप्ताहिक छुट्टी) मिला !
इस तरह की खुशी इस तरह का तोहफा जो हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा भविष्य की नई योजना बनाने में मार्ग प्रशस्त करता है
निश्चित ही हमें हंसी ठिठोली करना चाहिए इससे मानव मस्तिष्क के आंतरिक तनाव दूर होते हैं साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है
निर्देशक अश्विनी धीर के निर्देशन में बनी फिल्म 'सन ऑफ सरदार' जिसमें एक्टर अजय देवगन हंसने की बात कहते हैं "ओ पाजी कभी हंस🤣 भी लिया करो।"
जी हां खुशी खुशी होती है मेरे घर पर एक बकरी है मैंने एक प्रयोग किया उसके दो बच्चे हैं जो महज 5-6 महीने के हैं जब वह दिन भर चरने के बाद शाम को घर लौटी तो मैंने एक बच्चा उसके साथ बांध दिया व दूसरा बच्चा(मेमना)घर के अंदर को समय 5:00 ही बज रहे थे
लेकिन वहां जब तक चीखती रही जब तक उसका बच्चा(मेमना) मैंने उसके पास ना बांधा ।
बच्चे को पास पाते ही वहां उसे प्यार दुलार अपनी जिव्हा से चाटने लगी ।
यहां उसकी वास्तविक खुशी थी
इस प्रकार हमारी भी वास्तविक खुशी इन सारे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से संभव नहीं है
उसके लिए हमें अपनो के लिए वक़्त निकालना ही होगा। तभी हम एक सकारात्मक समाज को जन्म दे पाएंगे !
दया और जेठालाल के द्वारा जिस प्रकार चुटकुले हंसी ठिठोली काबिले तारीफ है लेकिन एक और वह बारिक हिस्सा जो हम सब देखते हैं लेकिन समझने की आज तक हमने कोशिश ही नहीं की जो आने वाले समय में बच्चों के दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा कभी नहीं उत्पन्न कर सकता !
जी हां । मैं उस बारिक हिस्से की बात कर रहा हूं जिसमें जेठालाल की नजर बबीता जी के ऊपर पढ़ते ही एक विशिष्ट परिस्थिति को निर्मित करते हैं जिसमें बबीता जी के प्रति उनका लार टपकाना ।
आप सोचिए ? जिसके पास इतनी सुंदर पत्नी है हंसी ठिठोली के लिए वह अपना प्यार दुलार बबीता जी के लिए संजोए फिरता है
मुझे सोचने के लिए मजबूर तब किया जब हम उस समय इस धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा घर पर सपरिवार देख रहे थे उसमे बैठा हुआ मेरे पास नन्ना बच्चा तकरीबन 9 से 10 साल का जेठालाल और बबीता के प्रसंग को देखते ही बोल पड़ा !
जैसे ही जेठालाल बबिता के देखे येके लाल टपकने लागीं जाए (मालवी भाषा में लिखा है आप 2 बार पढ़ें)
क्या ? उस बच्चे की प्रसंग को देखकर वास्तविक भावना जागृत हुई क्या वह सकारात्मक हंसी कहलाएगी ?
हालांकि खुशी खुशी होती हैं खुशी की कोई सही परिभाषा नहीं हो सकती; खुशी तब होती है जब आपको लगता है कि आप दुनिया के शीर्ष पर हैं जहां पूर्ण संतुष्टि की भावना प्रबल है
हम सभी खुश रहना चाहते हैं,
लेकिन बहुत-से लोग खुश नहीं हैं। जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हें नहीं पता कि खुशी कैसे पायी जा सकती है। वे सोचते हैं कि ढेर सारी चीज़ें होने से खुशी मिलती है। लेकिन जब उन्हें वे चीज़ें मिल जाती हैं तो उनकी खुशी ज़्यादा दिन तक नहीं टिकती।
खुश रहने का एक राज़ है। उसके बारे में महान शिक्षक ने कहा: “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” तो अब बताओ खुश रहने का राज़ क्या है?— हाँ, अगर हम दूसरों को कुछ देंगे या उनके लिए कुछ करेंगे, तो हमें खुशी मिलेगी। क्या आपको यह बात पता थी?
चलो इस बारे में थोड़ा और सोचते हैं। क्या यीशु के कहने का यह मतलब था कि जिसे तोहफा मिलता है क्या वह खुश नहीं होता?— नहीं, उसके कहने का यह मतलब नहीं था। जब कोई आपको तोहफा देता है तो आपको अच्छा लगता है ना?— सबको अच्छा लगता है। जब हमें कोई अच्छी चीज़ मिलती है तो हमें खुशी होती है।
अब हम इस पर थोड़ा और जोर डालते हैं
टीआई इंदौर कोरोना काल में महीने भर से ड्यूटी कर रहे थें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब उन्हें पता चला की मुझे वीकली ऑफ(साप्ताहिक छुट्टी) मिला है
वह सुबह से ही बहुत खुश हैं क्योंकि उनके 28 वर्ष के कार्यकाल में पहली बार उन्हें वीकली ऑफ(साप्ताहिक छुट्टी) मिला !
इस तरह की खुशी इस तरह का तोहफा जो हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा भविष्य की नई योजना बनाने में मार्ग प्रशस्त करता है
निश्चित ही हमें हंसी ठिठोली करना चाहिए इससे मानव मस्तिष्क के आंतरिक तनाव दूर होते हैं साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है
निर्देशक अश्विनी धीर के निर्देशन में बनी फिल्म 'सन ऑफ सरदार' जिसमें एक्टर अजय देवगन हंसने की बात कहते हैं "ओ पाजी कभी हंस🤣 भी लिया करो।"
जी हां खुशी खुशी होती है मेरे घर पर एक बकरी है मैंने एक प्रयोग किया उसके दो बच्चे हैं जो महज 5-6 महीने के हैं जब वह दिन भर चरने के बाद शाम को घर लौटी तो मैंने एक बच्चा उसके साथ बांध दिया व दूसरा बच्चा(मेमना)घर के अंदर को समय 5:00 ही बज रहे थे
लेकिन वहां जब तक चीखती रही जब तक उसका बच्चा(मेमना) मैंने उसके पास ना बांधा ।
बच्चे को पास पाते ही वहां उसे प्यार दुलार अपनी जिव्हा से चाटने लगी ।
यहां उसकी वास्तविक खुशी थी
इस प्रकार हमारी भी वास्तविक खुशी इन सारे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से संभव नहीं है
उसके लिए हमें अपनो के लिए वक़्त निकालना ही होगा। तभी हम एक सकारात्मक समाज को जन्म दे पाएंगे !
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जिससे हमें ऊर्जा मिले.....
और हंस भी लिया करो....
-Tatya 'Luciferin'
-Tatya 'Luciferin'
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