निबंध

                            निबंध
विषय:-
"कोविड-19 महामारी उपरांत सामाजिक-आर्थिक उत्थान में विज्ञान एवम् प्रोद्यौगिकी की भूमिका"
1.) प्रस्तावना:- विश्वव्यापी महामारी कोविड -19 के उपरांत सामाजिक आर्थिक उत्थान में निश्चित ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने अपनी अहम भूमिका निभाई हैं जिसमें विज्ञान ने कोविड-19 के ज्ञान को क्रम बद्घ कर उससे निपटने के उपाय डूंड रहा है तथा एक ओर सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए प्रोद्यौगिकी अपना काम सूचना संचार के माध्यम से कर रही है यदि सूचना संचार का माध्यम न होता तो हम इसके शिकार बहुत जल्द हो जाते। ओर यह वायरस आज ना जाने कितने लोगो को प्रभावित करता अनगिनत जाने जाती सरकार द्वारा जो मदद हमें मील रही है उदाहरण के लिए :-केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के द्वारा उठाए गए कोरोना राहत राशि पैकेज,किसान, मजदूर के खातों में पैसे पहुंचना कोविड-19 के उपरांत सामाजिक - आर्थिक उत्थान में विज्ञान एवम् प्रोद्यौगिकी की वजह से संभव हो पाया है

कोरोना वायरस क्या है ? :-
कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था। जो आज पूरे विश्व मैं एक महामारी का रूप में फैल गया है

कोविड़-19 के उपरांत सामाजिक - सामाजिक उत्थान में विज्ञान एवम् प्रोद्यौगिकी की भूमिका:-
भौतिक आधुनिक उपकरण संप्रेषण संचार का माध्यम बने हुए हैं जो समाज के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए उत्तरदायित्व होते हैं आज हम देख रहे हैं किस तरह चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला और सूचना संचार के माध्यम से इसने एक विश्वव्यापी रूप ले लिया। ऐसा माना जाता है कि यदि हमें पूर्वाभास या संदेह रहता है किसी भी बीमारी या किसी प्रकोप का तो हम उसकी पूर्व योजना तथा तैयारी की जा सकती है तमाम प्रकार के पहलुओं से हमें सामाजिक आर्थिक सुधार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही हुआ है सबसे बड़े विज्ञान व संचार हैं संचार के बिना हम अधूरे हैं कोरोना के कारण आज देश की अर्थवयवस्था चरमरा गई जिससे देश में आर्थिक मंदी छाया गई है समूचे देश को बहुत ही कठिनायों से गुजरना पड़ रहा है हमे विज्ञान ने सही राह दिखाई है आज तमाम प्रकार के कारोबार हम हजारों लाखों मील दूर तक के कार्य घर बैठे बैठे कर कर रहे है कोरोना की ट्रेनिंग हो या सरकार के आदेश हम तक सीधे सीधे पहुंच रहे हैं जो हमारी आर्थिक मदद करने में मजबूती प्रदान कर रहे है
उदाहरण :- भारत सरकार द्वारा तमाम प्रकार की आर्थिक राशि हो या फिर कोरोना राहत पैकेज की मदद, राज्य के द्वारा कोरोना राहत राशि तथा अन्य योजनाओं का लाभ सीधे सीधे उनके खाते में लाखो करोड़ो रुपए का एक क्लिक कर सभी के खातों में पहुंचना तथा उनको मोबाइल संदेश के माध्यम से सूचित करना यह सब एक प्रकार का विज्ञान ओर प्रोद्यौगिकी ही कमाल है।
सामाजिक आर्थिक उत्थान में :- सामाजिक का शाब्दिक अर्थ सजीव से यह शब्द समाज+ईक प्रत्यय से बना है चाहे वो मानव जनसंख्या हों अथवा पशु।
कार्ल मार्क्स के अनुसार:-"यूथचारी जीव" (झुण्ड में रहने वाला) काल से हैं
कोरोना वायरस (कॉविड -19) के समय समाज को सामाजिक - आर्थिक लाभ प्रदान करने के लिए
नीतियों को संदर्भित कर उसे समाज को सरकार की ओर से आय और धन की समुचित मदद की का सके। तथा जिनका उद्देश्य जनहित के कार्यों से हो जैसे :-गरीब किसान मजदूर के खाते में सीधे-सीधे पैसे डालना जिससे उनकी सामाजिक तथा आर्थिक समस्या का समाधान हो सके यह सब संभव विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण ही हो पाया है हम देख रहे हैं एक क्लिक पर लाखों करोड़ों खाताधारकों को निर्धारित की गई राशि उनके बैंक अकाउंट में पहुंच जाती है एक क्लिक करने के पहले इनकी संख्या लाखों-करोड़ों में रहती है लेकिन बाद में यह खाताधारकों के अनुसार विभाजित हो जाती है तथा इसके साथ ही उन्हें उनके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर संदेश के माध्यम से उन्हें सूचित भी किया जाता है जिससे वह अपनी राशि का उपयोग कर सकें।
अन्य उदाहरण
1. शिक्षा आजकल सभी स्कूल ,कॉलेज, यूनिवर्सिटी बंद है लेकिन ऑनलाइन के माध्यम से उनकी पढ़ाई जारी है
2.देश के बड़े - बड़े शैक्षणिक संस्थान आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बांबे,एम्स, व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन और चेन्नई की एक्सटाइल मिल्स के माध्यम से हम कोरोना किट, पीपीई किट का डिजाइन विज्ञान के आधुनिक भौतिक संसाधनों से ही कर रहे है

उपसंहार
आजकल विज्ञान एवम् प्रोद्यौगिकी ने हमे जिज्ञासु प्रवृत्ति का बना दिया है जो भी मन करता है हम इंटरनेट के माध्यम से उसे खोज कर उसके उपाय में लग जाते है ठीक ऐसा ही हम सबने कोरोना वायरस की खबर जब चीन के वुहान तथा चीन के साथ साथ पूरे विश्व में फैली थी उस समय से लेकर आज तक हमें आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी)के माध्यम से ही सूचना लगातार मिलती रही है
तथा विज्ञान से उसके उपचार एवम् सेनेटाइजर,मास्क तथा किट की जानकारी भी इन्ही के माध्यम से मिली है इस महत्ती आवश्यकता के क्षणों में वेंटिलेटरों, डायगनोस्टिक्स, सेनेटाइजर पीपीई किट,मास्क नवीन, निम्न लागत, सुरक्षित एवं कारगर समाधान में कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए।
साथ ही इसके साथ ही दुष्परिणाम भी है लोगो का डाटा चोरी होना, तथा उनकी निजी जानकारी को हैकर द्वारा हैक करना !
यह वास्तव में कॉविड-19 के उपरांत सामाजिक - आर्थिक उत्थान में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी की भूमिका अग्रिणी तथा बहुत ही महत्वपूर्ण रही हैं



                                                    - Tatya'Luciferin'

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