सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह


सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह

वातावरणीय परिस्थिति के दौर में अपने आपको अच्छा तंदुरुस्त रखें । व्यायाम कीजिए स्वस्थ रहिए मस्त रहिए नकारात्मक चीजों को अपने ऊपर हावी ना होने दें।
हमारा शरीर एवम् मस्तिष्क प्राकृतिक रूप से इतना मजबूत है जो प्राणी जगत का एकमात्र विकसित, आत्म चिंतन से परिपूर्ण है जीवन की कला से लेकर अंतरिक्ष जगत की सेर खगोलीय पिंड से लेकर भूतल हवाई यात्रा एवं तकनीकी ज्ञान को विकसित किया है जिसने भी यह शुरुआत की है वह एक मानव ही है अतः हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए हम एक मजबूत व्यक्तित्व के धनी हैं हम जैसा सोचते हैं वैसा हो जाते हैं यहां यथार्थ है और वैसा ही हमारे साथ होने लगता है हम जिस तरह की संगत में रहते हैं उसका कुप्रभाव हमारे ऊपर भी पड़ता है इसलिए लोग संगति का विशेष ध्यान रखते हैं और अच्छी संगति की बात करते हैं क्योंकि वहां उन्हें उस तरह का वातावरण मिलता है
जो उनके जनजीवन को प्रभावित करता है तथा मानसिक असंतुलन और जीवन के अनेक आयामों को प्रभावित करता है यदि हम उच्च या अच्छी संगति की बात करें तो हमारे शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे हमें समस्त प्राणी प्रसन्न दिखाई देते हैं हम दूसरों की पीड़ा को समझ सकते हैं और उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं यह सिर्फ संगति से ही प्राप्त होता है बुरी चीजों से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि यह हमें एक दुर्गति प्रदान करती है इसलिए जितना हो तकनीकी का कम इस्तेमाल करें आजकल देखा जा रहा है मोबाइल फोन के स्टेटस पर अनेक प्रकार के भ्रांतिमान वीडियो का प्रयोग किया जा रहा है जो तस्वीरें हमारे सामने आ रही हैं वह बहुत ही भयंकर दिखाई दे रही है जिससे हमें मानसिक विकृति पैदा होती है और हम वैसा ही सोचने लगते हैं तथा लगातार एक ही एक चीज को देखने से हम और हमारे दिमाग में चल रही क्रियाएं उसके प्रति उत्तेजित होती है और हमारा मन मस्तिष्क उसे वह सूचना प्रेषित करता है जो हम देख रहे हैं जिससे हमें चिंतनीय नुकसान होता है एवम् एक प्रकार की कुंठित मानसिकता में समाहित हो जाते हैं यह प्राकृतिक ही है हम जैसा सोचेंगे वैसा ही हो जाएंगे यह सच है इसलिए अच्छा सोचे और सकारात्मक भाव को अपने अंदर लाएं जिससे हमें नवीन ऊर्जा का हमारे शरीर में लगातार संचार हों । हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप कार्य करता है यदि हम मानसिक तौर पर मजबूत रहेंगे हमें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं मिलेगी और ना ही होगी । लेकिन जब इंसान मानसिक तौर पर मजबूत नहीं होता है तो वहां शारीरिक रूप को मजबूत कैसे कर पाएगा इसीलिए मेरा आपसे यही निवेदन है सकारात्मक
सोचे और सकारात्मक पहलुओं को समझें नकारात्मक भाव को अपने दिमाग में ना आने दे और ना ही उनको हावी होने दे इससे हम और हमारा परिवार सुरक्षित रहेगा जितना हो सके आप मनोरंजन के साधन उपयोग में लाएं ।
किताबें पढ़ें व्यायाम करें घर में बच्चों के संग मस्ती करें परिवार के साथ कुछ गतिविधियां भी आयोजित करें जिससे हमारे परिवार वाले सभी शामिल हो उसमें एक दूसरे का सहयोग की आशा करें और उन्हें विश्वास दिलाएं अंतिम बात यही कहूंगा जरूरत हैं हमे जागरूक रहने कि सचेत रहने की वक्त है पुरानी किताबों को पढ़ने की धूल हटाकर उन्हें पढ़ने की ।
जिसको आपने पढ़ा नही समझा नहीं अब वक्त है उन्हें पढ़कर समझने का हमे अपने आप को सकारात्मक ऊर्जा के साथ मानसिक खुशी और पारिवारिक दायित्व को भी बढ़ावा मिलेगा । जो दैनिक जीवन में अति महत्वपूर्ण हैं । रोगप्रतिरोग क्षमता का विकास होगा । जिससे स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि होगी ।
धन्यवाद आपने अपना कीमती वक्त निकालकर इस लेख को पढ़ा इस पर अपनी टिप्पणी जरूर मुझे दें ताकि मैं आपको और अच्छा कंटेंट प्रदान कर सकूं पुनः धन्यवाद ।

–संतोष तात्या

एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ?


एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ?

एंटीबॉडी क्या हैं?
एंटीबॉडी को immunoglobulins भी कहते हैं एंटीबॉडी हमारे प्रतिरक्षा तन्त्र (immune systum) से बनती हैं ।
जब कोई वायरस, फंजाई या अन्य कीटाणु या Foreign Particles जो हमारे शरीर के अंदर आता है तो हमारा इम्मूनों सिस्टम चौकन्ना ( सजक ) हो जाता है इसके सजक हो जाने से 
प्रतिरक्षा तन्त्र (immune systum) एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर देता हैं । यह एंटीबॉडी 2 तरह से बनती हैं  ग्लाइको (Glyco) मतलब कार्बोहाइड्रेट और प्रोटिन (protein) मतलब प्रोटिन इन दोनों की बनी होती हैं । और यह globulin के साथ रहती हैं जिसे ig कहते हैैं  
हमारे रक्त में पहले से ही अनेक प्रकार के प्रोटिन मौजूद होते है अल्गुमीन, ग्लोबिन एवम् अन्य इनमें भी एंटीबॉडी होती हैं 
एंटीबॉडी का उत्पादन प्लाज्मा कोशिका ( plasma cell) से होता हैं । [ एंटीजन + T cell ये T cell, B cell को एक्टिव करता हैं B cell में एंटीबॉडी उपस्थित रहती हैं और B cell के active 
हो जानें से प्लाज्मा कोशिका (plasma cell) एंटीबॉडी (antibody) का उत्पादन शुरू कर देती हैं । यहीं एंटीबॉडी (antibody) एंटीजन (antigen) से सहभागिता(पहचान कर) उसे नष्ट कर देती हैं या नष्ट करने लग जाती हैं। ]  
यह एंटीबॉडी शरीर के अंदर अगल अलग प्रकार के प्रोटिन का निर्माण करता हैं जैसे – Ig इसका पूर्णरुप– immuno Globulin. 

एंटीबॉडी (antibody) के कार्य ? 
इसको समझने से पहले हमें एंटीजन (प्रतिजन) के बारे में समझना होगा । Antigen बाहरी तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के अंदर बीमारी पैदा करते हैं 
जैसे – Bacteria🦠🦠, Virus❄️, Fungus🕸️, parasites🐛, Toxins💮, drugs & chemicals🧪.
 यही एंटीजन हाथ मिलाने से, सांस लेने से, खाना खाने से या अन्य माध्यम से हमारे शरीर के अंदर जाकर हमें नुकसान पहुंचाते हैं । इन्हीं नुकसान से बचाने के लिए हमारे शरीर में एंटीबॉडी होती है जो हमारे शरीर की रक्षा कर उन्हें खत्म करती है।  
अब आपको समझ आ गया होगा की एंटीजन क्या हैं और क्या काम करती हैं अब हम एंटीबॉडी को समझते हैं ।
उदाहरण – एंटीजन (antigen) एक चोर हैं और किसी कॉलोनी में घुस गया हैं (अपने शरीर में) वहां पर 50 लोग अनजान रहते हैं ऐसे में हम पुलिस को बुलाएंगे हमें नहीं पता चोर कोन हैं लेकिन पुलिस के पास सभी का डेटा हैं जिस प्रकार पुलिस चोर को ढूंढ कर पकड़–पकड़ कर मारती हैं घसीटती हैं डंडे बरसाती हैं ठीक उसी प्रकार हमारी एंटीबॉडी (पुलिस) भी एंटीजन (चोर) को रगड़ रगड़ कर नष्ट कर देती हैं । 

एंटीबॉडी (antibody) कितने प्रकार की होती हैं ? 
यह 5 प्रकार की होती हैं ।
1.) IgD
2.) IgE
3.) IgG
4.) IgM 
5.) IgA 
इनमे से कुछ एंटीबॉडी के उप वर्ग भी होते हैं 
जैसेIgG– IgG 1, IgG 2, IgG 3, IgG4 
          IgA– IgA 1, IgA 2 

इसकी संरचना को देखते हैं 
  igG, igD, igE, इन सभी की संरचना Y के समान होती हैं लेकिन igM और igA में इनकी संरचना अन्य से भिन्न होती है । जो प्रोटीन से बने मॉलिक्यूल्स होते हैं जो आपकी इम्यूनोसिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करते हैं । 
इसमें दो चैन पाई जाती है पहली हैवी चैन (heavy chain) 
दूसरी लाइट चैन (light chain) होती हैं तो इसमें दो लाइट चैन तथा दो हैवी चैन होती हैं जिसे H2 L2 यह इसका फॉर्मूला माना जाता हैं । इनके अंदर बॉन्ड्स बने होते हैं यह सल्फर के बने होते हैं जो यह ब्रिज का काम करते हैं इस लिए इन्हें डायसल्फाइड ब्रिज (Disulphide bridge) कहा गया हैं इनको संख्या 16 होती हैं । 
इसका निचला हिस्सा स्थायी रहता हैं किंतु इसका ऊपरी हिस्सा बदलता रहता है जिसे variable regeon कहते हैं । 
इसमें heavy chain में है तो variable regeon of heavy chain कहलाता हैं । यदि light chain में है तो variable regeon of light chain कहलाता हैं ।

तो दोस्तों आज़ हमने एंटीबॉडी क्या हैं एंटीबॉडी के कार्य और कितने प्रकार की होती हैं ? इन सबको बहुत ही अच्छे ढंग से समझा अन्य लेख को पढ़ने के लिए इसी वेब ब्लाग पेज पर सर्च करें । इस महत्व्त्वपूर्ण जानकारी को अधिक सेे अधिक लोगों तक  साझा । और लोगो को जागरूक बनाएं धन्यवाद। 


प्लाज्मा क्या है ? प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं? प्लाज्मा थैरेपी कैसे दी जाती हैं ? प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ?

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे प्लाज्मा थेरेपी की प्लाज्मा थेरेपी क्या होती है यह क्यों जरूरी है और क्यों दी जाती है? 
प्लाज्मा थैरेपी (plasma therapy) इसकी शुरुआत आज से नहीं कई दशकों से चली आ रही है
 भिन्न-भिन्न बीमारियों के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है वर्तमान में कोरोना महामारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है इसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज का माध्यम बनाने की कोशिश की जा रही है ऐसे में भारत में भी इसका प्रयोग किया गया है सबसे पहले केरल में किया गया था और उसके बाद दिल्ली में फिर अन्य राज्यों ने भी इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए यह प्रक्रिया अपनाई हैं ।

प्लाज्मा और रक्त को समझते हैं ? 
प्लाज्मा हमारे रक्त (Blood) का 55% हिस्सा है ब्लड के अंदर आरबीसी डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स पाए जाते हैं यह रक्त के पार्टिकल्स (particles) होता है जिनका शरीर के अंदर ब्लड में 40% की मात्रा होती है बाकी शेष भाग में प्लाज्मा 55 प्रतिशत 
मौजूद होता है इस प्लाज्मा में एंटीबॉडी मौजूद होती हैं जो हमारे शरीर को रोगों (एंटीजन) से लड़कर बचाने का काम करती हैं इस 55% प्लाज्मा को एक शरीर से दूसरे शरीर में किसी बीमारी को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है लेकीन प्लाज्मा उसी व्यक्ति का लिया जाता हैं जिस बीमारी या संक्रमण से वह ठीक हुवा हैं क्यों कि उसकी एंटीबॉडी (antibody) शक्ति शाली हों जाती हैं उस बीमारी से लड़ने के लिए ।  
अब हम बात करते हैं प्लाज्मा क्या है ?
प्लाज्मा रक्त के अंदर पीले रंग का द्रव होता हैं जो RBC, WBC और प्लेटलेट्स को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में 
मदद करता हैं अर्थात् जिस प्रकार घर बनाते समय हम माल़–मसाला बनाते हैं उसमें गिट्टी, रेत और सीमेंट का मिश्रण तैयार किया जाता हैं और बाद में पानी डाला जाता हैं यही पानी हमारे रक्त के अंदर प्लाज्मा का काम करता हैं । और गिट्टी, रेत सीमेंट RBC WBC और अन्य होती हैं । 

तो हमने प्लाज्मा को समझा । अब हम प्लाज्मा थैरेपी को समझते हैं ? इसको कैसे दी जाती हैं ? 
प्लाज्मा थैरेपी में उस व्यक्ति का प्लाज्मा लिया जाता हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित था अब उसने कोरोना वाइरस से जंग जीत ली हैं । जो अब पुर्णरूप से स्वास्थ्य हैं उसका प्लाज्मा 28 दिन के बाद या 4 हफ़्ते के बाद लिया जाता है और उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता हैं । क्योंकि ठीक हुवे व्यक्ति के प्लाज्मा में कोरोना वाइरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी (antibody) का विकास हो चुका होता हैं जो कोरोना वाइरस को पहचान कर नष्ट करने में पूर्णतः दक्ष होती है । और संक्रमित व्यक्ति धीरे धीरे ठीक होने लगता हैं 
यह प्रक्रिया बहुत हद तक कारगार हैं इस तरह कोरोना संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टर के अनुसार मरीज का प्लाज्मा थैरेपी के माध्यम से ईलाज किया जाता हैं या प्लाज्मा थैरेपी इस प्रकार दी जाती हैं ।  
उदाहरण के तौर पर हम इसे इस प्रकार समझते हैं 
मानव शरीर के प्लाज्मा में एंटीबॉडी के तौर पर एक योद्धा है वहां किसी भी बीमारी को पराजित करने में सक्षम है वह अपने शत्रु को भापकर तुरंत युद्ध कर शत्रु को हरा देता है व सेना को आदेश दे कर उसे घेरा बनाकर मार देते हैं वह योद्धा सभी की आंखों में छा जाता है क्योंकि उसने एक ऐसे अनजान व्यक्ति (कोरोना) से लोहा लिया और उसे धूल चटा कर निस्तेनाबूद कर दिया । अर्थात् हमने समझा किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का वायरस चपेट में ले लेता है उसे प्लाज्मा के अंदर मौजूद एंटीबॉडी उसकी पहचान कर उसको नष्ट कर देता है और हमारे शरीर को स्वास्थ्य एवम् सुरक्षित बनाए रखता हैं । 

प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ? 
Corona Virus से संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण से ठीक होने के 28 दिन के बाद कोई भी व्यक्ति प्लाज़्मा डोनेट कर सकता है। प्लाज़्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति की सेहत पर प्लाज्मा डोनेट करने का कोई असर नहीं पड़ता। स्वस्थ इंसान से लगभग 200 ml से 250 ml तक प्लाज़्मा लिया जाता है और मरीज को 200 ml तक दिया जाता है या डॉक्टर के मार्गदर्शन के अनुसार।  

तो आज़ हमने जाना प्लाज्मा क्या है ? प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं? प्लाज्मा थैरेपी कैसे दी जाती हैं ? प्लाज्मा डोनेट कितने समय के बाद करना चाहिए ? इसके अलावा अन्य जानकारी अन्य लेख में मिलेगी जैसे– आपके शरीर में कितने % ऑक्सीजन होनी चाहिए ? कोरोना वायरस क्या हैं? वर्तमान में कितने प्रकार का हैं? कोरोना टेस्ट कैसे किया जाता हैं? RT–PCR क्या हैं ? ऑक्सीमीटर क्या है? क्या काम करता हैं? यह सब भी जान सकते हैं इस वेबसाइट में और आपके सारे सवालों का जवाब भी । साथ ही जागरूक नागरिक बने और अन्य लोगो को भी जागरूक बनाएं इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें । लेख को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव अवश्य दें । धन्यवाद